### **दुनिया का सबसे बड़ा चोर - भाग 2**
**(वरुण की वापसी)**
#### **एक नई मुसीबत**
वरुण ने अपना अतीत छोड़कर **दुनियाओं का रक्षक** बनने का फैसला किया था। वह अब जादुई घड़ी का उपयोग चोरी करने के लिए नहीं, बल्कि उन **अंधेरे ताकतों** से लड़ने के लिए करता था जो कमजोर सभ्यताओं को नष्ट करना चाहती थीं।
लेकिन एक दिन, कुछ अजीब हुआ। जब वरुण एक जलती हुई सभ्यता को बचाने के लिए **टाइम पोर्टल** से गुजर रहा था, तो उसकी घड़ी अचानक **लाल चमकने लगी**। यह पहले कभी नहीं हुआ था।
*"यह क्या हो रहा है?"* वरुण ने सोचा।
तभी, हवा में एक **दरार** उभर आई। उस दरार से एक **कालाधुंध प्राणी** निकला, जिसकी आँखें आग जैसी जल रही थीं।
*"वरुण ! तुमने अनंत कुंजी चुराई थी, और अब तुम्हें इसकी कीमत चुकानी होगी!"*
वरुण ने उस प्राणी को पहचान लिया—यह था **"रक्तविल"**, एक प्राचीन शैतानी योद्धा, जिसे सदियों पहले बंद कर दिया गया था।
#### **पुराने दुश्मनों की वापसी**
रक्तविल एक **खोई हुई दुनिया "अंधकार लोक"** का शासक था, जहाँ से वह पूरे ब्रह्मांड पर शासन करना चाहता था। लेकिन उसकी ताकत को सील करने के लिए **कालस्वर** ने अनंत कुंजी का उपयोग किया था। अब, वह आज़ाद था—और उसका पहला लक्ष्य वरुण था।
*"तुमने मेरा रास्ता रोका, अब मैं तुम्हारी घड़ी छीन लूँगा!"* रक्तविल गरजा।
वरुण को समझ आ गया कि यह सिर्फ एक लड़ाई नहीं, बल्कि एक **युद्ध की शुरुआत** थी। अगर रक्तविल को नहीं रोका गया, तो वह हर दुनिया को नष्ट कर सकता था।
#### **एक नई दुनिया – समय के बाहर**
रक्तविल ने हमला किया, और वरुण को अपनी **घड़ी की पूरी शक्ति** का उपयोग करना पड़ा। लेकिन जब उसने समय को मोड़ने की कोशिश की, तो कुछ गलत हो गया।
अचानक, वह **एक अजीब जगह पर पहुँच गया**। यह न कोई ज्ञात दुनिया थी, न ही कोई ग्रह—यह **समय और स्थान से परे एक खाली आयाम था**। चारों ओर सिर्फ **रोशनी की धाराएँ बह रही थीं**, और समय वहाँ स्थिर था।
तभी, एक आवाज़ गूंजी,
*"तुम यहाँ क्यों आए हो, वरुण ?"*
वरुण ने पलटकर देखा, तो उसके सामने **एक रहस्यमयी महिला** खड़ी थी, जिसकी आँखें सितारों जैसी चमक रही थीं।
*"मैं 'कालद्रष्टा' हूँ—समय की अंतिम रक्षक। तुमने अंधकार लोक की मुहर तोड़ी है, और अब ब्रह्मांड खतरे में है!"*
#### **वरुण की सबसे बड़ी चोरी**
वरुण समझ गया कि रक्तविल को हराने का एक ही तरीका था—उसे **समय के बाहर फँसाना**।
लेकिन इसके लिए उसे कुछ ऐसा चुराना था, जो आज तक कोई नहीं चुरा सका था—**खुद समय!**
कालद्रष्टा ने उसे चेतावनी दी, *"अगर तुम समय की धारा चुरा लोगे, तो तुम्हें भी इसकी कीमत चुकानी होगी।"*
वरुण मुस्कुराया, *"मैं हमेशा से जोखिम उठाता आया हूँ।"*
उसने अपनी जादुई घड़ी को सक्रिय किया और **समय के प्रवाह को मोड़ दिया**। अचानक, पूरा ब्रह्मांड हिलने लगा।
रक्तविल जो अपनी सेना के साथ ब्रह्मांड पर हमला करने वाला था, **अचानक समय में फँस गया**।
*"नहीं! यह संभव नहीं!"* वह चिल्लाया, लेकिन कुछ ही पलों में वह **खाली शून्य में समा गया**।
#### **वरुण की कुर्बानी**
लेकिन इस लड़ाई की कीमत थी। वरुण ने समय को मोड़ने के लिए अपनी **घड़ी की पूरी शक्ति** का उपयोग कर लिया था। अब वह खुद भी किसी भी दुनिया में वापस नहीं जा सकता था।
कालद्रष्टा ने कहा, *"अब तुम हमेशा के लिए समय के बाहर फँस गए हो, वरुण ।"*
वरुण हँस पड़ा, *"मैं हमेशा से दुनिया से बाहर था।"*
कालद्रष्टा ने उसकी बहादुरी देखी और कहा, *"पर शायद तुम्हारे लिए एक आखिरी मौका हो..."*
#### **अगली यात्रा की ओर**
अचानक, वरुण के सामने एक **नया दरवाजा** खुला—एक ऐसी दुनिया की ओर, जिसका अस्तित्व अब तक किसी को नहीं पता था।
*"क्या तुम इस आखिरी सफर के लिए तैयार हो?"*
वरुण ने अपनी घड़ी की टूटी स्क्रीन देखी और मुस्कुराया।
*"चोरी करने की पुरानी आदत गई नहीं… शायद इस बार, मैं खुद को ही चुरा लूँ!"*
और फिर, वह उस दरवाजे में कूद गया… **एक नई दुनिया, एक नई कहानी, और एक नए रहस्य की ओर।**
**(जारी रहेगा...)**