दुनिया का सबसे बड़ा चोर – भाग 4
(वरुण की नई जिम्मेदारी)
वरुण अब एक नई दुनिया में था— बिना अपनी जादुई घड़ी के, बिना किसी चुराने की ताकत के, और बिना अपने पुराने जीवन के।
लेकिन उसके हाथ में अब भी वह रहस्यमयी किताब थी, जिसमें उसकी पूरी कहानी लिखी थी।
"तो अब मैं एक चोर नहीं, बल्कि एक रक्षक हूँ?" वरुण ने खुद से कहा।
लेकिन रक्षक किसका? और क्या सच में उसका चोर वाला अतीत खत्म हो गया था?
समय के छिपे दुश्मन
वरुण को लगा कि अब सब सामान्य हो गया है, लेकिन उसे नहीं पता था कि अंधकार लोक में कुछ बचा हुआ था ।
रक्तविल भले ही समय के शून्य में कैद हो चुका था, लेकिन उसके कुछ अनुयायी अब भी बाकी थे— "परछाईं योद्धा" , जो गायब रहकर समय में छेद बना सकते थे ।
वे अब वरुण को ढूंढ रहे थे, क्योंकि उसने समय की किताब से एक पन्ना फाड़ा था , और वह पन्ना अब उनके लिए सबसे कीमती चीज़ था।
पहला हमला
वरुण एक पुराने ग्रंथालय में छिपा हुआ था, जहाँ उसने सोचा था कि उसे कोई नहीं ढूंढ पाएगा।
लेकिन एक रात, जब वह किताब का अध्ययन कर रहा था , अचानक कमरे में अंधेरा छा गया।
"तो तुम यहाँ छिपे हो, वरुण !"
अचानक, तीन परछाईं योद्धा दीवारों से बाहर निकले—उनकी आँखें जल रही थीं, और उनके हाथों में अजीब-से काले ब्लेड थे, जो समय को चीर सकते थे।
"हमें किताब दो, और हम तुम्हें छोड़ देंगे!"
लेकिन वरुण मुस्कुराया, "अगर मैंने पूरी दुनिया से चुराया है, तो तुमसे क्यों डरूँ?"
वरुण की नई ताकत
वरुण ने लड़ाई शुरू कर दी, लेकिन वह अब बिना अपनी जादुई घड़ी के था।
पर तभी, किताब अचानक चमकने लगी!
उसके हाथ अपने आप मंत्रों को लिखने लगे—यह किताब सिर्फ अतीत नहीं, बल्कि भविष्य भी बदल सकती थी!
वरुण ने पन्ने को पलटा और ज़ोर से पढ़ा—
"समय का जाल टूटे, अंधकार का पर्दा हटे!"
अचानक, किताब से सुनहरी रोशनी निकली, और परछाईं योद्धा चिल्लाने लगे।
"यह कैसे संभव है?"
लेकिन यह सच था—अब वरुण सिर्फ चोर नहीं, बल्कि समय का नया रक्षक बन चुका था!
नई खोज की शुरुआत
परछाईं योद्धा भाग गए, लेकिन वरुण जानता था कि वे दोबारा आएँगे।
उसने किताब को खोला और देखा कि इसमें एक छुपा हुआ संदेश था—
"अनंत कुंजी अभी भी पूरी नहीं हुई... अगर वह गलत हाथों में चली गई, तो समय का संतुलन टूट जाएगा!"
वरुण समझ गया कि उसकी असली परीक्षा अब शुरू हुई थी।
अब वह न सिर्फ खुद को बचाने , बल्कि समय के सबसे बड़े रहस्य को खोजने के सफर पर निकलने वाला था!
क्या वह सही समय पर सच तक पहुँच पाएगा?
या फिर कोई उससे पहले ही समय की अंतिम कुंजी चुरा लेगा?
(जारी रहेगा…) । । । । । । । । । । । । । । । । । । ।
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