# **दुनिया का सबसे बड़ा चोर – भाग 3**
### *(वरुण की अंतिम चोरी)*
### **नई दुनिया – एक नया रहस्य**
वरुण ने समय के शून्य से छलांग लगाई और खुद को एक अजीब दुनिया में पाया। यह कोई साधारण दुनिया नहीं थी—यहाँ **आकाश में दो सूरज चमक रहे थे**, जमीन पर अनगिनत तैरते हुए द्वीप थे, और हवा में बहती रोशनी के धागे समय के प्रवाह की तरह दिखाई दे रहे थे।
यह **"अनंत लोक"** था—वह जगह, जहाँ **हर बीती, वर्तमान और आने वाली दुनिया की कहानियाँ लिखी जाती थीं**।
*"तो यह है मेरी नई मंज़िल…"* वरुण ने खुद से कहा।
तभी, एक भारी आवाज़ गूंजी,
*"तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए था, वरुण !"*
वरुण ने पलटकर देखा। सामने **एक विशाल स्वर्ण सिंहासन** था, और उस पर बैठा था **"कालराज"**, वह रहस्यमयी राजा जो **समय और स्थान के हर नियम का स्वामी था**।
*"तुमने अपनी घड़ी की शक्ति का दुरुपयोग किया, समय की धारा को चुराया और रक्तविल को कैद किया। अब तुम्हें इसकी कीमत चुकानी होगी!"*
वरुण मुस्कुराया, *"मुझे हमेशा से कीमत चुकाने की आदत थी, लेकिन तुम मुझे क्यों रोकना चाहते हो?"*
कालराज ने क्रोधित होकर कहा, *"क्योंकि तुमने जो किया है, उसने ब्रह्मांड में असंतुलन पैदा कर दिया है! अगर तुम यहाँ एक क्षण और रुके, तो **पूरा समय चक्र टूट सकता है**।"*
वरुण को समझ में आ गया कि उसकी आखिरी चोरी **ब्रह्मांड के नियमों के खिलाफ थी**।
लेकिन तभी उसे सिंहासन के पीछे **एक चमकती हुई चीज़** दिखी—एक **अनजान कुंजी**, जो समय की इस दुनिया के सबसे गहरे रहस्य को छुपा रही थी।
### **वरुण की अंतिम योजना**
*"अगर यह जगह समय की धारा को नियंत्रित करती है,"* वरुण ने सोचा, *"तो शायद यहाँ से बाहर निकलने का एक तरीका हो सकता है!"*
वह तेजी से उछला, अपनी अंतिम बची शक्ति का उपयोग करके समय की धारा में कूद पड़ा, और सीधे उस **गूढ़ कुंजी** की ओर बढ़ा।
कालराज चिल्लाया, *"नहीं! अगर तुमने इसे छुआ, तो सब नष्ट हो सकता है!"*
लेकिन वरुण को परवाह नहीं थी।
उसने कुंजी पकड़ ली—और अचानक, पूरी दुनिया **हिलने लगी**।
### **समय का सबसे बड़ा रहस्य**
जैसे ही वरुण ने कुंजी को छुआ, उसे एक विस्फोटक रोशनी में खींच लिया गया।
जब उसने आँखें खोलीं, तो वह **एक विशाल किताबों के हॉल में खड़ा था**। ये कोई साधारण किताबें नहीं थीं—हर किताब में **एक पूरी दुनिया की कहानी लिखी हुई थी**।
*"तो यह है असली सच…"* वरुण बुदबुदाया।
तभी उसे एक किताब दिखाई दी—जिसका शीर्षक था **"वरुण – दुनिया का सबसे बड़ा चोर"**।
*"मेरी पूरी कहानी... पहले से ही लिखी जा चुकी थी?"*
अचानक, पीछे से एक और आवाज़ आई,
*"हाँ, लेकिन अब तुम इसे बदल सकते हो!"*
वरुण ने देखा—वह **कालद्रष्टा** थी।
*"तुम्हारे पास एक आखिरी मौका है, वरुण ! अगर तुम चाहो, तो अपनी कहानी खुद लिख सकते हो, लेकिन इसकी कीमत बहुत बड़ी होगी!"*
वरुण ने किताब उठाई और सोचा, *"मैंने सारी जिंदगी सिर्फ चुराया है... अब वक्त है कि मैं अपनी किस्मत खुद बनाऊँ!"*
उसने किताब का एक पन्ना फाड़ा और **अपनी घड़ी पर रख दिया**।
### **नया अंत, नई शुरुआत**
अचानक, समय फिर से चलने लगा।
वरुण ने खुद को एक नए स्थान पर पाया—यह **धरती** थी, लेकिन वह अब कोई चोर नहीं था। उसकी **जादुई घड़ी गायब हो चुकी थी, और उसके हाथ में केवल एक पुरानी किताब थी।**
*"तो यह मेरी सजा है?"*
तभी, किताब के आखिरी पन्ने पर चमकते हुए शब्द उभरे—
**"अब से, वरुण चोर नहीं, बल्कि एक रक्षक होगा। वह दूसरों की कहानियों की रक्षा करेगा, और किसी को भी समय से खिलवाड़ नहीं करने देगा।"**
वरुण मुस्कुराया।
*"शायद अब मैं सही चीज़ चुराऊँगा—गलतियों को सुधारने का मौका!"*
**(वरुण की कहानी यहीं खत्म नहीं होती… लेकिन अब वह एक नई भूमिका में है!)**
**(समाप्त, या शायद एक नई शुरुआत!)**