Suhagraat Web Series - 2 in Hindi Love Stories by Lokesh Dangi books and stories PDF | सुहागरात वेबसीरीज - भाग 2

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सुहागरात वेबसीरीज - भाग 2



सुहागरात की वह पहली रात बीत चुकी है, लेकिन सुबह होते ही रवि और कविता को एहसास होता है कि उनकी जिंदगी में अब सिर्फ वे दोनों नहीं हैं, बल्कि परिवार और समाज का भी दखल होगा। इस भाग में परिवार की मस्ती, दोस्तों की चुहलबाज़ी, और दोनों के बीच बढ़ते रोमांस को दिखाया जाएगा।
सुबह की हलचल

सुबह का सूरज खिड़की से कमरे में झांक रहा है। कविता बिस्तर पर लेटी हुई है। उसकी साड़ी का पल्लू हल्का-सा खिसक गया है, और उसके बाल बिखरे हुए हैं। रवि बगल में सोया हुआ है, लेकिन उसकी आंखें खुल जाती हैं।

वह कविता को सोते हुए देखता है। उसकी खूबसूरती पर मुस्कुराता है।
रवि: (धीरे से) सच में, इतनी प्यारी पत्नी मिली है मुझे।

वह धीरे से उसके माथे को चूमता है। कविता जाग जाती है और उसे देखकर शरमा जाती है।
कविता: (मुस्कुराते हुए) क्या कर रहे हो?
रवि: (हंसते हुए) कुछ नहीं, बस तुम्हें देख रहा था।

दोनों की यह मीठी-सी सुबह तभी खटाई में पड़ जाती है, जब दरवाजे पर ज़ोर-ज़ोर से दस्तक होती है।
सास: (बाहर से) बहू, दरवाजा खोलो! पूजा का वक्त हो गया है।

दोनों हड़बड़ाकर उठते हैं। कविता जल्दी से साड़ी ठीक करती है और रवि मुस्कुराता हुआ दरवाजा खोलने जाता है

रवि और कविता पूजा के लिए नीचे जाते हैं। परिवार के सभी लोग खाने की मेज पर बैठे हैं। जैसे ही वे वहां पहुंचते हैं, सबकी निगाहें उन पर पड़ती हैं।

चाची: (हंसते हुए) बहू, कैसे रही रात? आराम तो हुआ न?
ताऊ: (मजाकिया लहजे में) अरे, बेचारे रवि को तो देखो, कितना थका हुआ लग रहा है।

कविता शरमा जाती है और नजरें झुका लेती है। रवि भी थोड़ा झेंप जाता है।
रवि: (संभालते हुए) चाचा, बस काम की थकान है।

ताई: (हंसते हुए) हां-हां, हमें सब पता है।


रवि के दोस्त उसे घर के बाहर बुलाते हैं।
दोस्त 1: (हंसते हुए) और रवि, सुना है रात बड़ी खास थी?
रवि: (शर्माते हुए) तुम लोग अपनी बकवास बंद करो।
दोस्त 2: (मजाकिया अंदाज में) बताओ, भाई, बहूजी कैसी हैं?

उधर कविता की सहेलियां उसे फोन करती हैं।
सहेली 1: (शरारती लहजे में) तो बहन, क्या हाल है? पहली रात कैसी रही?
कविता: (शर्माते हुए) तुम लोग मुझे तंग मत करो।
सहेली 2: (हंसते हुए) बता तो सही, तेरे पति कैसे हैं?

दोनों की यह बातचीत उनके रिश्ते को और गहरा करती है। का नया पहलू

शाम को जब घर के सारे काम खत्म हो जाते हैं, तो रवि और कविता अकेले समय बिताने का प्लान बनाते हैं।
रवि कविता को छत पर बुलाता है। चांदनी रात और ठंडी हवा में दोनों एक-दूसरे के पास बैठते हैं।

रवि: (धीमे स्वर में) आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो।
कविता: (शरमाते हुए) और तुम हर बार ये क्यों कहते हो?
रवि: (हंसते हुए) क्योंकि ये सच है।

रवि धीरे-धीरे कविता के पास झुकता है। वह उसका हाथ पकड़ता है और उसे अपनी बाहों में भर लेता है।
कविता: (धीमे स्वर में) कोई देख लेगा।
रवि: (मुस्कुराते हुए) अंधेरे में कौन देखेगा?

रवि उसे चूमता है, और दोनों के बीच रोमांस बढ़ने लगता है। हवा में गुलाब की हल्की खुशबू फैल जाती है।

रवि और कविता को एहसास होता है कि उनके रिश्ते में सिर्फ प्यार नहीं, बल्कि जिम्मेदारियां भी हैं। कविता रवि से कहती है:
कविता: (गंभीरता से) अब हमें इस रिश्ते को और मजबूत बनाना है।
रवि: (मुस्कुराते हुए) मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं।

दोनों एक-दूसरे को देखते हैं और इस नए सफर को साथ में तय करने का वादा करते है