Suhagraat Web Series - 4 in Hindi Love Stories by Lokesh Dangi books and stories PDF | सुहागरात वेबसीरीज - भाग 4

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सुहागरात वेबसीरीज - भाग 4


शादी के बाद की जिंदगी सिर्फ रोमांस तक सीमित नहीं होती। रिश्ते की गहराई में विश्वास, समझ और एक-दूसरे के साथ हर मुश्किल का सामना करने की क्षमता भी शामिल होती है। इस भाग में रवि और कविता के रिश्ते को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन उनके प्यार की गहराई इन कठिनाइयों को पार कर लेगी


रवि और कविता एक खूबसूरत सुबह की शुरुआत करते हैं। कविता किचन में नाश्ता बना रही है, और रवि चुपके से पीछे आता है।


रवि: (धीरे से) क्या बन रहा है, महारानी जी?

कविता: (मुस्कुराते हुए) तुम्हारे लिए पराठे बना रही हूं।

रवि: (शरारती अंदाज में) पराठों से ज्यादा तो मुझे तुम्हारी मुस्कान पसंद है।


कविता उसे हल्का धक्का देती है और दोनों हंसने लगते हैं। यह सुबह उनके रिश्ते की ताजगी को दर्शाती है।


नाश्ते के बाद परिवार के सभी सदस्य बैठक में इकट्ठा होते हैं। रवि के पिता, जो बेहद अनुशासनप्रिय हैं, रवि से नई जिम्मेदारियों को संभालने की बात करते हैं।


पिता: (गंभीर स्वर में) रवि, अब तुम शादीशुदा हो। घर के काम और व्यापार में पूरी तरह ध्यान लगाना जरूरी है।

रवि: (आदर से) जी पिताजी, मैं समझता हूं।


वहीं, कविता को भी सासू मां से कुछ बातें सुनने को मिलती हैं।

सास: (थोड़े सख्त लहजे में) बहू, अब ये घर तुम्हारा है। हर काम में तुम्हें आगे रहना होगा।


कविता चुपचाप उनकी बात सुनती है और मन ही मन इस नई जिम्मेदारी को निभाने का वादा करती 


शाम को, रवि और कविता अपने कमरे में होते हैं। कविता दिनभर के दबाव को लेकर थोड़ा परेशान होती है।


कविता: (थोड़े चिंतित स्वर में) तुम्हारे घर के नियम-कायदे बहुत सख्त हैं। मुझे डर है कि मैं सब कुछ ठीक से कर पाऊंगी या नहीं।

रवि: (प्यार से) तुम्हें डरने की जरूरत नहीं। मैं तुम्हारे साथ हूं।


लेकिन बात-बात में दोनों के बीच हल्की बहस हो जाती है।

कविता: (गंभीरता से) लेकिन क्या तुम सच में मेरा साथ दोगे? या सब कुछ मुझ पर छोड़ दोगे?

रवि: (थोड़ा गुस्से में) तुम ऐसा क्यों सोच रही हो? क्या मैंने कभी तुम्हें अकेला महसूस कराया?


दोनों चुप हो जाते हैं। यह उनके रिश्ते की पहली अनबन होती है


चौथा दृश्य: सुलह और बढ़ता प्यार


रात को रवि कविता के पास आता है।

रवि: (धीरे से) मैं तुमसे नाराज नहीं रह सकता।

कविता: (मुस्कुराते हुए) और मैं भी।


रवि कविता का हाथ पकड़ता है और उसे अपने करीब लाता है।

रवि: (गंभीरता से) मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। जो भी हो, हम मिलकर सब कुछ संभालेंगे।


कविता की आंखों में आंसू आ जाते हैं। रवि उसकी आंखों को चूमता है और दोनों एक बार फिर अपने प्यार में खो जाते हैं।


अगली सुबह, रवि और कविता मिलकर परिवार के साथ बैठते हैं और अपने भविष्य की योजनाओं पर बात करते हैं।


पिता: (गंभीरता से) हमें तुम दोनों पर पूरा भरोसा है। यह घर और व्यापार अब तुम्हारी जिम्मेदारी है।

रवि: (आत्मविश्वास से) हम मिलकर सब कुछ संभालेंगे।


कविता और रवि एक-दूसरे की ओर देखते हैं। दोनों के दिलों में यह विश्वास होता है कि चाहे कुछ भी हो, वे हर मुश्किल का सामना साथ में करे


अंत: प्यार की गहराई


रात को, जब सब सो जाते हैं, रवि और कविता अपने कमरे में बैठे होते हैं।


कविता: (मुस्कुराते हुए) तुम्हारे साथ हर मुश्किल आसान लगती है।

रवि: (प्यार से) क्योंकि हमारा प्यार हमारी ताकत है।


दोनों एक-दूसरे को गले लगाते हैं। यह रात उनके रिश्ते को और मजबूत बना देती