गैलेक्सी मॉल, मुंबई
जानवी के कॉल करने के बाद विराट के प्यार भरे एहसास वापस से नफ़रत के निचे दब चूके थे। इसबक्त उसके जहन में बस परी की आवाज ही गूंज रही थी। वो बैचेन होकर वापस से घर के नंबर पर कॉल लगाता है। काफ़ी देर तक रिंग जाने के बाद नर्स कॉल रिसीव कर बोलि
"Hello"
दूसरे ओर से विराट थोडा सख्त आवाज में
"फ़ोन उठाने में इतना वक्त लगता है??"
नर्स हड़बड़ा कर"सॉरी सर वो फ़ोन का वॉल्यूम लो है इसलिए सुनाई नहीं दीया।
"परी दी क्या कर रही है?"
नर्स की बात को टोक कर विराट ने वापस से पुछा। परी जो मेडिसिन के असर से गहरी नींद में थी के नर्स तरफ़ देख कर बोली "वो तो सो रही है सर।"
इससे पहले की वो नर्स को कुछ और बोल पाता ट्रायल रूम से तपस्या कपड़े बदल कर निकल ती है। और उसे बाहर निकलता देख आवाज धीमी करते हुऐ विराट नर्स से बात करते हुए "Ok खयाल रखना दी का और ट्राई करना अगर उठने के बाद मूझसे बात करना चाहें तो तुरंत करवा देना।"बोलकर वो बीना नर्स की बात सुने फ़ोन कट कर दीया। और फ़ोन pocket में रख कर वॉल से ही टिक कर उसी के और ही अति हुई तपस्या को एक टक दिखने लगा।
इस बक्त तपस्या के चहरे पर ढेर सारे अलग से भाव थे। और विराट हर एक भाव को पढ़ने की कौशिश कर रहा था। जो उस केलिए कभी भी मुश्किल था ही नहीं।
तपस्या विराट के करीब आकार उसके सामने खडी हुई और उसे कुछ पल देख ने लगी। विराट यूं ही दीवार पर टिक कर खड़ा उसे ही एक टक देखे जा रहा था।
"सब ठीक है ना घर पर?" तपस्या ने फिक्र भरे भाव से पुछा।
विराट बस सिर हिलाकर hmm मैं जवाब दीया।
फिर दोनों ही ख़ामोश थे। और एक दूसरे को ही देखे जा रहे थें। तपस्या कुछ पल के बाद खामोशी तोड कर उलझी हुई सी बोली"अछा तो में अब चलती हुं?" कह कर उसने कुछ पल बिराट के रिएक्शन का इंतजार किया।
और विराट अभि भी खामोशी से बस तपस्या को ही देखे जा रहा था। तपस्या एक फीकी मुसकान के साथ मुडकर जाने लगी।
"मेरे सेल्स पर्सन्स आप के होने वाले हसबैंड को कुछ ओर पल busy रख सकती हैं आगर आप को मेरे साथ थोड़ा और क्वालिटी टाइम स्पेंड करनी है तो।"विराट की आवाज सर्द ओर तंज भरी थी। जिसे सुनते ही तपस्या ने मुड़का दिखा। विराट के चहरे पर कोई भाव नहीं थी।
तपस्या उसपर एक सख्त नजर डाल कर "आप की बातें आप के चहरे के भाव और आपकी आंखों के एहसास मैच नहीं के रहे है mr विराट अग्निहोत्र। लगता है आप किसी और टेंशन में है। हम बाद में बात करते है।"कहते हुए वो जानें लगी।
विराट एक ही झटके में उसका हाथ पकड़ कर अपने ओर खिंच लेता है और उसे पुरी तरह से अपनी बाहोंमें भरकर उसके चहरे से अपना चेहरा सहलाकर बेहद धीमी और सनक भरी आवाज में पूछा "अब क्या?"
तपस्या उसके बाहों में सिमट ते हुए धीमी आवाज में "क्या मतलब?"
विराट पलट कर उसे दीवार से सटा कर पुरी तरह से उसपर झुक ते हुए "मतलब ये के पहले एयरपोर्ट फ़िर वेलकम पार्टी फिर यादों में ओर फिर ट्रायल रूम अब कहां छिप कर रोमांस करना हैं? क्यों के अब बस एक हफ्ते के बाद यूं मिलना मिलाना ख्यालों में आना सब कुछ खत्म होने वाला है होने वाली Mrs ओब्रॉय"
ये सुनते ही तपस्या ने गौर से विराट को दिखा जो उसी के पलकों में ही झांक रहा था।
उसे खामोश देख विराट ने वापस कहा "आज ब्राइडल शॉपिंग कुछ दिनों बाद से शादी की रस्में मेंहदी हल्दी संगीत शादी और सुहाग
विराट बस इतना ही बोला था के तपस्या ने उसके होठों पर अपनी एक उंगली रख कर गुस्से से बोलि "हमे पता है शादी के क्या क्या रस्में होती हैं गिन ने की ज़रूरत नहीं है।"
कहकर वो विराट पर अपने नज़रों से वार करते हुऐ दो तीन बार अपनी पलकें झपका दी। विराट के होठों पर एक खिली सी मुस्कान आ गईं।
तपस्या मुंह फुलाते हुई "आप हमेशा हर किसी के साथ यूं ही तीखी और खड़ूस होकर बातें करती है या फ़िर हम स्पेशल हैं?"
विराट उसके चेहरे पर बिखरे बालों को कान के पीछे करते हुऐ "यू आर ऑलवेज स्पेशल मिस रायचंद?"
तपस्या मुस्कुराकर" तो आप ने बताया नहीं?"
विराट आइब्रोज उठाते हुए"और मुझे क्या बताना था?"
तपस्या मुंह फूला कर "के अब आगे क्या करना है?
विराट गहरी सांस भर कर"फिलहाल तो जस्ट किस मी।"
कहते हुए ही वो तपस्या के होठों के क़रीब बढ़ने लगा। तपस्या उसे रोक कर सहमी आवाज में "दादू हैं सब घरवाले है सिद्धार्थ की फेमिली है और अब बस 8 दिन के बाद सादी है कैसे क्या करेंगे हम??"
विराट अपने होठों पर रखे तपस्या की उंगली को चूम कर और अपना चेहरा उसके गर्दन के पास छिपा कर बोला "ज़िन्दगी में सब कुछ एक पल में ही बदल जाता है मिस रायचंद आठ दिन बहत हैं,तो डोंट वरी अबाउट that? लेकिन पहले ये तो सोच लिजिए के बदलना क्या है?"कहकर ही वो उसके गर्दन को सिद्दत से चूम ने लगा। तपस्या अपने दोनों हाथ उसके सिर के पीछे रख उसके एहसासों में ही सिमटने लगी।
वो दोनों एक दूजे में ही खोए हुए थे के विराट का फ़ोन बजा। विराट उसके कंधे के पास से अपना चहेरा हटा कर उसे देखते हुऐ ही अपना फ़ोन रिसीव कर "हम्ममम बोल?"
दूसरे तरफ़ से श्लोक जल्दबाजी में "Sorry भाई आप ने मना किया था बेवजह call करने केलिए लेकीन फिर भी थोड़ा अर्जेंट था।"
विराट तपस्या के चेहरे पर पड़े बालों के साथ खेल ते हुए"बोल तेरी अर्जेंट बात?"
"आप की बहत याद आ रही है। कहां है आप?"श्लोक उंगलियों के सारे नाखून चबाते हुए बोला। बिना विराट के पूरे ऑफिस को अकेले संभाल ना उसकेलिये जंग जीतने के बराबर था और वो काफी नर्वस हो चुका था।
विराट उसकी बात सुन कर सर्द आवाज में "जहन्नुम में हूं तुझे भी आना है?"
श्लोक बत्तीसी दिखा कर "नहीं भाई अब इतनी ज़्यादा याद भी नहीं आ रही है। आप अपना काम कंटिन्यू कीजिए में
इससे पहले की श्लोक कुछ ओर बोल विराट ठंडे आवाज में,
"और बकवास किया तो कुछ और करने के काबिल नहीं रहेगा। और बिना नर्वस हुए ऑफिस संभाल।" बोलकर उसने फ़ोन काट दीया और इससे पहले कि तपस्या उसका यूं बात करने का अंदाज देख कुछ बोले विराट बोला"भाई है मेरा और वो ऐसे ही बकवास करता है और में एसे ही जवाब देता हुं।"
कहकर उसने तपाया के नोज टिप पर किस किया ओर सीधे और सपाट लहज़े मे कहा"सपनों में नहीं हकीकत में मेरे साथ रोमांस कंटीन्यू रखना चाहती है? आज के बाद से सारी रस्में मेरे साथ मेरे नाम पर मनाना चाहती है ? कुछ पल नहीं हर जनम मेरे साथ बिताना चाहती हैं?"पूछते हुए वो तपस्या की आंखों में ही गौर से देख रहा था।
अचानक के इस सवाल से तपस्या बस फ्रिज हो गई थी। विराट उसे खामोश और सोच में डूबा हुआ देख कर भाव हीन हो कर "यूं तो सोच कर बस बिजनेस किया जाता है मिस रायचंद दिलों के फैसले नहीं ....लेकीन जो के आप यशबर्धन रायचंद की पोती है तो इतना तो आप को सोचने का वक्त देना ही पड़ेगा के आप अपना नफा नुकसान देख सकें।"" विराट कहकर तपस्या को खुद से अलग करता है और जाने लगा। तपस्या खडी होकर बस उसे जाते देख रही थी।
विराट चलते हुए ही "आप के जवाब का इंतज़ार रहेगा मिस रायचंद.... आज की रात खतम होने से पहले अपना फैसला सुना दिजिए गा। वर्ना रात खतम तो सपना भी खतम।"बोलकर वो बिना पीछे मुड़े वहां से चला गया।
दूसरे ओर रायचंद इंडस्ट्रीज में
मीटिंग खत्म हो चुकी थी और सारे मेंबर्स रूम से जा चुके थे। बस अभय अनिरुद्ध जी समर और यशवर्धन जी ही कुछ जरूरी डिस्कशन कर रहे थे।
यशवर्धन कुछ बोलते हुए अभय की तरफ देखने लगे तो अभय हाथ में पेंसिल पकड़े घुमाते हुए खेल रहा था।
यशवर्धन जी उसके ऊपर एक सर्द नजर डालकर व्यंग भरे अंदाज में बोले
"बोर्ड मीटिंग में बैठे हैं आप स्कूल में नहीं की पेंसिल से खेल रहे हैं। अपने काम के प्रति कब सीरियस होंगे आप? वारिश है हमारे कभी तो हमारे उसूलों पर चलने की तकलीफ कर लीजिए।"
अभय जो अपने ही ख्यालों में गुम हुआ पेंसिल को उंगली में घुमाने में बिजी था अचानक अपनी उंगली रोक लेता है और एक गहरी सांस लेते हुए बिना किसी भाव फाइल में नजर टिका कर बोला
"लोगों की जिंदगी और जज्बातों के साथ खेलने से तो बेहतर है कि हम पेंसिल से ही खेल लें।"
"अभय हद से ज्यादा बातामिजी करने लगे हैं आप।"
अनिरुद्ध अभय के और देखते हुए गुस्से से बोले।
अभय बहुत ही इज्जत के साथ उनके और देख शांत भाव से
"इससे ज्यादा तमीज हम नहीं दिखा सकते हैं। और इससे पहले की और हद से ज्यादा बदतमीजी कर बैठे इससे पहले हम यहां से जाना पसंद करेंगे।"कहते हुए अभय वहां से उठने लगा।
यशवर्धन उसे रोक आवाज दे कर...."अभय थोड़ी देर बैठीये हमें कुछ जरूरी बात करनी है आपसे सब से।"
अभय सवालिया नजरों से उन्हें देखा और सामने ही बैठे हुए समर पर इशारों भरी सवालिया नजर डालकर वापस से बैठ गया।
यशवर्धन जी सब पर एक नजर डालकर सामने रखिए फाइल को बंद करते हुए बोले"सिंघानिया साहब का फोन आया था मिलना चाहते हैं हमसे अभय और प्रियंका की शादी की बात आगे बढ़ाने के लिए
वो कुछ और कहते इससे पहले ही अनिरुद्ध अभय की तरफ देखकर "आपका का क्या कहना है अभय?कब बात करें सिंघानिया जी के साथ ?"
"आई थिंक अभय से पूछने का वक्त अभी खत्म हो चुका है क्योंकि ना ही इनकी उम्र रुकी है और ना ही प्रियंका की तो हम सीधे मिस्टर सिंघानिया को डिनर पर इनवाइट करके शादी की डेट फिक्स कर देते हैं। क्या ख्याल है?"
पूछ कर यशवर्धन सब की सहमति का इंतजार करने लगे।
जहां समर खामोश थे और अभय को ही देख रहे थे वही अभय शादी की बात सुनकर ही इरिटेशन और परेशानी के साथ अपने माथा रब करते हुए खुद को शांत करने की कोशिश कर रहा था।
अनिरुद्ध जी यशवर्धन जी के बात पर सहमति देते हुए बोले
"प्रिया , सिंघानिया साहब की इक लौती बेटी है तो उनकी चिंता करना तो लाजमी है। पहले ही काफी देर हो गई है अब हमें लगता है तपस्या की शादी के तुरंत बाद ही हमें अभय और प्रियंका की शादी अनाउंस कर देनी चाहिए ।"बोलकर वो अभय को देखने लगे और अभय गौर से उन्हें ही देख रहा था जैसे उनके एक-एक शब्द को गौर से सुन रहा हो।
यशवर्धन जी अभय की ओर देखते हुए बोले "आप कुछ कहना चाहते हैं या हम अपने हिसाब से ही डेट फिक्स कर दें?"यशबर्धन जी ने बोला और जवाब के इंतजार करते हुए अभय को ही देख रहे थे।
अभय उन्हें शांत और बिना भाव के देखते हुए बोला "जी बिल्कुल दादू आप लोग ही तय कर दीजिए।"कहकर वो अनिरुद्ध और यशवर्धन जी दोनों को देखने लगा।
ये सुनकर जहां यशवर्धन जी और अनिरुद्ध के चेहरे पर खुशी का ठिकाना नहीं रहा वहीं समर अभय को असमंजस में देख रहे थे जैसे उन्हें यकीन ही नहीं हुआ हो।
यशवर्धन जी बहस खुशी जताते हुए बोले "तो हम आज ही सिंघानिया साहब को बुलाकर आपस में सब कुछ तय कर लेते हैं और फिर आपको इन्फॉर्म कर देंगे?"यशवर्धन अभय की ओर मुस्कुराकर देखते हुए बोलने लगे।
"जी दादू तय कर दीजिए आपस में मिल बैठकर और साथ-साथ मिलकर ये भी तय कर दीजिएगा हम सुहागरात कब मनाएं अपनी वाइफ के साथ रोमांस कब करें और बच्चे कब
"अभय!!!
अभय अपनी बात पूरी करता इससे पहले ही अनिरुद्ध उसके ऊपर चीख कर उस गुस्से से देखने लगे।
अभय उनके गुस्से और चीख की परवाह किए बगैर बोला"हमारी बात पूरी नहीं हुई है पापा।"
अभय ने कहा और अपनी बात पूरी करते हुए बोला "प्रिया और हमारे बीच कब कैसे बच्चे पैदा होंगे वो भी देखकर हमें बता दीजिएगा उसी हिसाब से हम अपनी शेड्यूल प्लानिंग कर लेंगे।" कहते हुए अभय की ना ही चेहरे पर और ना ही बातों में किसी भी तरह के भाव थे। जैसे अब उसे किसी भी चीज से कोई फर्क ही ना पड़ता हो।
उसने अपनी बात पूरी की और बारी बारी एक-एक नजर अनिरुद्ध और यशवर्धन जी के ऊपर डाल वहां से जाने लगा।
यशवर्धन जी उनके सामने टेबल पर रखी फाइल को नीचे फेंकते हुए गुस्से से बोले,"हद में रहिए अभय ।"कहते हुए यशवर्धन जी गुस्से से कांप रहे थे।
अभय उनके गुस्से की परवाह किए बगैर उनके करीब आकर हल्का झुक ते हुए सर्द और नफरत भरे अंदाज में बोला, "हद ही तो नहीं है ,अब सब बेहद ही चल रहा है हमारी जिंदगी में।"
कहकर उसने यशबर्धन के साइड में ही बैठे हुए अनिरुद्ध की तरफ देखा और एकदम बिना भाभ के बोला
"बस सांस चाल रही है उसे बिना रुकावट चलने दीजिए। क्योंकि अगर वो रुक गई तो हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन आपकी पत्नी और हमारी मां की धड़कनें भी शायद हमारे साथ ही रूक जाएगी।और ये शायद आप भी नहीं चाहेंगे ।"
बोल कर कुछ वक्त तक वो खाली नजरों से यशबर्धन जी के ओर देख ने लगा और अचानक से भाव बदल कर उन्हें नफरत भरी नजर से देखते हुए वहां से चला गया।
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