Nafrat e Ishq - 26 in Hindi Love Stories by Sony books and stories PDF | नफ़रत-ए-इश्क - 26

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नफ़रत-ए-इश्क - 26

"आपकी शादी में बस 8 दिन बचे हैं ।आई थिंक आप दोनों को कुछ क्वालिटी टाइम स्पेंड करनी चाहिए। सो हरी अप।"

बोलकर विराट अजीब सी स्माइल करने लगा और जाने के लिए बस पलटा ही था की तपस्या ने उसका हाथ थाम लिया। विराट मुड़ कर एक नजर अपने हाथ को देखने लगा जिसे तपस्या ने थामे रखा था और नजर उठाकर तपस्या को देखने लगा जो आंखों में  नमी लिए कुछ दर्द और कुछ गुस्से से उसे ही देखे जा रही थी।

विराट उसकी आंखों में सवालिया अंदाज से देखते हुए गहरी आवाज में

"व्हाट हैपेंड मिस  रायचंद कुछ कहना है क्या आपको?"

"जी"

तपस्या उसकी आंखों में देखकर बस इतना ही बोली।

तपस्या अपनी नज़रें उसकी आंखों से हटाकर अपनी थामे हुए विराट के हाथों को देखकर बोली

"यही के हमें पता है कि 8 दिन बाद हमारी शादी होने वाली है । यही के हमें पता है कि हमें अपने होने वाले हसबैंड के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करनी चाहिए , हमें खुश रहना चाहिए, हमें अपनी शादी एंजॉय करनी चाहिए और हम करना भी चाहते हैं लेकिन

कहते हुए वो रुक गई।

विराट कुछ पल उसके नम आंखों को देखता रहा और एक ही झटके में तपस्या को अपने और खींचकर एक हाथ उसके कमर पर और दूसरा उसके सिर के पीछे रखकर उसे अपने चेहरे के एकदम करीब कर तपिश भरी नजरों से उसकी नजरों में झांक ते हुए दबे इंट्रेंस लफ्जों में बोला ,

"लेकिन क्या मिस तपस्या , लेकिन क्या??"

बेचैनी भरी नजरों से तपस्या बस कुछ पल उसे देखने लगी फिर एक बेबसी भरी मुस्कान अपने होठों पर लिए थके हुए आवाज में बोली जाने दीजिए आप नहीं समझेंगे और ना ही आपको कोई फर्क पड़ेगा।"

विराट अपनी पकड़ उस पर मजबूत कर गहरी आवाज में बोला

"अगर मैं कहूं के मुझे फर्क पड़ता है तो क्या करेंगी??"

तपस्या जो इस वक्त खुद को बहुत टूटा हुआ महसूस कर रही थी अचानक से विराट की जुबान से ये सुनकर जैसे उसकी सांसे कुछ पल के लिए थम सी गई थी ।और कुछ पल के लिए वो बस फ्रिज ही हो गई ।

विराट  उसके माथे से अपना माथा जोड़कर  बोला

"अगर मैं कहूं की आपको उस सिद्धार्थ के साथ देखकर मुझे पूरी दुनिया को आग लगा देने का मन करता है तो क्या करेंगी आप ? अगर ये कहूं की आपकी फिंगर में उसके नाम की इंगेजमेंट रिंग देखकर जहर सा फील होता है मुझे क्या करेंगे आप?"

बोलते हुए ही वो उसे ट्रायल रूम के दीवार पर सटा देता है और बैचेनी भरी सांसें लेने लगता है। जैसे खुद के इमोशंस को ही काबू करने की कोशिश कर रहा हो।

और तपस्या की आंखों में देखते हुए बोला"कौन है वो सम वन स्पेशल जिसके लिए मैंने वो शादी का लहंगा डिजाइन किया था जानना चाहेंगी?"

तपस्या कुछ सवाल कुछ बेचैनी और कुछ घबराहट के साथ विराट को देखने लगी । विराट उसे पलट कर अपने सामने लगी मिरर वॉल की तरफ कर देता है और उसके कमर के इर्द-गिर अपनी बाहों को कसते हुए उसके कंधे पर अपना चीन टिका कर मिरर में ही उसकी आंखों को देखते हुए बोला

"मिस तपस्या रायचंद उस शादी के जोड़े में क्या-क्या खासियत है जानते हैं आप?"

तपस्या तो बस एक कट्टपुतली की तरह विराट के इशारों को ही सुन समझ रही थी बिना कुछ कहे वो बस विराट को मिरर में से देखने लगी।

विराट उसे देखते हुए ही उसके कंधे पर अपने होंठ रख देता है तपस्या अपनी आंखें बंद कर लेती है विराट उसके कंधे पर ही अपने होंठ रखते हुए बोला

"मेरी जिंदगी के सारे रंग मैने उस लाल जोड़े में भिगो दिया है, हर खुशबू उस पर छिड़क दिया है , आसमान का हर सितारा उस पर पिरोए गए हैं, मेरे अंदर के हर एहसास है उस जोड़ में और वो जोड़ा दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की के लिए है एक प्रोसेस के लिए है और वो प्रोसेस इस वक्त मेरे पास मेरी बाहों में है।

विराट बोलकर कुछ पल खामोश रहा और तपस्या की तरफ देख इंटेंस वॉइस में बोला

"आंखें खोलकर उसे देखना नहीं जाएगी आप?"

तपस्या गहरी सांस लेकर अपनी तेज धड़कनों को काबू में करने की कोशिश करते हुए ना में सिर हिला देती है। विराट तिरछा मुस्कुराते हुए दबे लफ्जों में बोला

"क्यों?? कुछ वक्त पहले तो बेसब्री एक्साइटमेंट और उछलते हुए जानने के लिए बेताब थी कि वो सम वन स्पेशल कौन है? अब क्या हुआ?"

तपस्या आंखें बंद किए बहकी आवाज में

"डर लग रहा है की आंखें खोलें और हमेशा की तरह सपना टूट जाए।"

विराट उसे पलट कर अपनी और कर उसके बंद पलकों को बारी बारी चूम ते हुए बोला

"अब यकीन आया के ये सपना नहीं सच्चाई है?"

अभि भी वो कुछ नहीं बोलि और खामोश खडी रही ।विराट हल्का मुसकुराते हुए अपने होठों को तपस्या के होठों पर रख कर नशीली आवाज में बोला ,

"अब तो यकीन करेंगी ना?" बोलकर वो तपस्या के होठों को बेहद सिद्दत से चूम ने लगा। तपस्या उसके होठों के एहसास को फील करते हुए उसका साथ देने लगी और हल्का सॉफ्ट कैसे धीरे-धीरे  बेहद पैशनेट होता चला गया और दोनों ही एक दूसरे में डूबते गए।

वहीं दूसरे ओर रायचंद इंडस्ट्रीज

बोर्ड मीटिंग में कुछ जरूरी बातों को लेकर गहमा गहमी चल रही थी और वो इंपॉर्टेंट बात थी विराट अग्निहोत्री और अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज।

यशवर्धन रायचंद गुस्से से टेबल पर हाथ पटकते हुए

"कल की बनी हुई एक कंपनी और कल का आया हुआ एक बंदा 35 साल से चट्टान की तरह खड़ा हुआ रायचंद इंडस्ट्री को मात पर मात दिए जा रहा है, वो ज्यादा स्ट्रांग है या हम कमजोर पड़ रहे हैं?"

कहते हुए वो मीटिंग में बैठे हर शख्स पर दहशत भरी नजर डाल रहे थे।

यशवर्धन वापस से एक फाइल पर नजर डालते हुए बोले

"खरीद लो अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज के एम्पलाइज को क्योंकि जब कंपनी से एम्पलाइज बाहर आते हैं कंपनी के सीक्रेट्स भी उन्हीं के साथ ही बाहर आते हैं।"

कहते हुए वह एक डेविल स्माइल देने लगें।

"इंपॉसिबल पापा दिस इस अब्सोल्युटली इंपॉसिबल। विराट अग्निहोत्री की कंपनी में से बड़े से बड़े एम्पलाई तो छोड़िए सिक्योरिटी गार्ड तक उसकी कंपनी के साथ गद्दारी नहीं करेंगे चाहे हम जितने भी पैसे ऑफर कर ले।"

अनिरुद्ध जी ने कहा और एक analysis report उनकी तरफ बढ़ते हुए बोले,

"ये देखिए पापा जब से विराट अग्निहोत्री ने अपनी कंपनी स्टार्ट की है तब से लेकर आज तक की स्टाफ लिस्ट है। इतने सालों में अगर किसी ने कंपनी छोड़ भी है तो वो बस डेथ है या फिर कुछ पर्सनल रीजंस । कहीं और ज्वाइन करने के लिए कभी किसी ने उसकी कंपनी नहीं छोडा ।"

"और जहां तक मुझे पता है कोई गद्दारी करेगा भी नहीं।"

अनिरुद्ध के बातों से सहमत होते हुए अभय ने कहा।

यशबर्धन जी अभय के तरफ देख अपने शब्दों को दबाते हुए गुस्से से बोले,

"जहां तक हम जानते हैं रायचंद से ज़्यादा सैलरी पुरे बिजनेस वर्ल्ड मे सायद ही कोई देता है। फिर ऐसी क्या वजह है के उसकी कंपनी को एम्प्लॉय छोड़ने केलिए तयार ही नहीं हैं?"

पूछते हुए वो गुस्से और सावलिया नज़रो से अभय के ओर ही देख रहे थें।

यशबर्धन जी की बात सुनकर अभय कुछ नहीं बोला। बस व्यंग भरें अंदाज में मुस्कुरादिया।

बोर्ड मेंबर्स में से एक शख्स उनके सवालों का जवाब देते हुए बोला

"Respect sir , वहां हर एक एंप्लॉय को इक्वल रिस्पेक्ट मिलते हैं । विराट अग्निहोत्री खुद पर्सनली एक-एक एंप्लॉय के इश्यूज समझते हैं जो हमारी कंपनी में

कहते हुए वो शख्स खामोश हो गया ।

"आपने अपनी बात पूरी नहीं की मिस्टर माथुर?"

अभय उन्हें खामोश देख पूछने लगा

अनिरुद्ध जी गुस्से से उसके और देखने लगे।

अब उनके नज़रों के परवाह किए बगैर बोला,

"हमारी कंपनी में एंप्लॉई को पालतू कुत्ता समझ जाता है, के बस खाने का टुकड़ा फेंका और वो हमारे वफादार बन गए।"

अभय कहते हुए यशवर्धन के और देखने लगा जो जलती हुई नजर से उसे देख रहे थे। मीटिंग रूम के चिल्ड टेंपरेचर में भी अब सबको गर्मी  का एहसास होने लगा था।

अनिरुद्ध जी अभय को देखकर कुछ कहने वाले थे कि उन्हें रोकते हुए समर बात संभालने के लिए मजाक के अंदाज में बोले

"अगर विराट पुराण खत्म हो गया हो तो हम कुछ जरूरी प्रोजेक्ट्स के बारे में बात कर ले वरना वो भी शायद अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज के पास ही चला जाएगा।

कहते हुए वो सब की ओर नजर घुमाने लगे सबके सहमति के साथ मीटिंग में कुछ जरूरी डिस्कशन होने लगी।

गैलेक्सी माल में...

विराट और तपस्या एक दूसरे में ही खोए हुए थे की एक phone ring की एक अलग सी आवाज से वो एक झटके में होश में आता है। और तपस्या को खुद से अलग कार pocket से phone निकाल कर फ्लैश हुए नबर को देखने लगा। होम दिखकर परेशानी और बैचनी में वो तपस्या को इग्नोर कर phone पिक करने बाहर जानें लगा ही था के तपस्या उसका हाथ थाम कर बोलि

"क्या हुआ? कुछ प्रोब्लम है?"

तपस्या ने पुछा तो विराट को होश आया के वो दोनों कहा पर है। वो खुद को संभाल ते हुए बोला,

"नहीं घर से फ़ोन से बस, लैंड लाइन से फॉन है तो मैने सोचा कुछ इमरजेंसी होगी।"

विराट बोलकर बार बार फॉन को ही बैचेनी से देख रहा था। तपस्या उसे यूं परेशान दिखकर

"फाइन आप बात करलीजिये में तब तक ड्रेस चेंज कर लेती हुं

उसकी बात खतम हो इससे पहले ही विराट ok बोलते हुई उससे हाथ छुड़ा कर बाहर चला गया। और तपस्या बस उसके अचानक से बदलते मिजाज को देख रहि थी।

विराट परेशानी और फिक्र से ट्रायल रूम से बाहर निकला और थोडी दूर आकर मिस्ड काल हुए नंबर पर दुबारा कॉल लगाने लगा।

दुसरी तरफ़ से दो रिंग मै ही किसीने फ़ोन पिक किया तो विराट बैचनी भरे आवाज में

"दी ठिक है न मां"

दूसरे और से जानवी शांत भाव से,

"सब ठीक है और दी भी ठीक हैं। अभि मैं दी के ही पास बैठी हूं। "

विराट सावलिया आवाज से

"तू इस टाइम मेरे घर पर क्या कर रहि है और वो भी दी के पास?"

जानवी हंस ते हुए बोली "अरे दी की याद आई तो सोचा मिल लूं। और मुझे देखते ही दी को तुम्हारी यादा आई। सायद मुझमें तू ही दिखता है।"

बोलकर वो जोर जोर से हंस ने लगी। और उसे हंस ते हुए देख परी सहमी सी खुद में सिमटी हुई बैठी हुई थी वो भी मुसकुरा दी। और हाथ बढ़ा ते हुए बोलि

"मुझे भी वीर से बात करनी है।"

जानवी उसके माथे को सहला ते हुए उसके और phone बढ़ा देती है। तो परी उससे फ़ोन झपट कर दोनों हाथाें से ही एक दम से कान में दबा कर बोलि

"तू कब आयेगा वीर?"

ये सायद ही कभी कभी ही होता था के परी बिकुल नॉर्मल तरीके से बात करती थी। उसकी सहमी आवाज सुनकर विराट अपनी आंखें बंद कर लेता है। उसे ख़ामोश देख परी थोडा गुस्से से

"तू नहीं है क्या?"

विराट आंखे बंद कीए ही मुस्कुराए बोला

"हुं दी आप के क़रीब आप के आसपास ही हुं। कहां जाऊंगा आप को छोड़ कर?"

परी हल्का मुसकुराते हुए

"तो मेरे सामने आ ना। कुछ अच्छा नहीं लग रहा है। सिर में बहत दर्द है और बॉडी में भी बहत दर्द है। अन लोगों ने

वो बस इतना ही बोलि थी के जानवी उससे फ़ोन वापस लेते हुऐ बोलि

"दी अब आप रेस्ट कीजिए आप ने अभि अभि दवाई लि ही न।"

बोलकर उसने विराट को कॉल बैक करती हुं बोलकर परी को बेड पर लेटा दीया, मेडिसिन के वजह से उसकी भी आंखे खुद ब खुद बंद हो रहि थी। उसने परी को ब्लैंकेट से कवर कर नर्स को ईसारा करते हुऐ बाहर चली गईं।

बाहर आते ही उसने विराट को call लगाया । विराट जो परी के आवाज से ही सपनों की दुनियां से बाहर आकर दुबारा से अतीत के दर्द में कैद हो चूका था एक ही खटके में call पिक कर

"तूझे किसने कहा था परी दी के रूम में जाने केलिए?"

जानवी परी के रूम के बाहर खडी हो कर दीवार से टिक्कर एक एविल अंदाज से बोलि

"लगता है परी दी की आवाज सुनकर खुशी नहीं हुई तुझे?किसी और में खोया हुआ था क्या?"

विराट गुस्से से दांत पीस ते हुए

"नॉन ऑफ योर बिजनेस?"

जानवी उसीके अंदाज में लफ्ज़ों को दबाते हुए

"बहक रहा है या बहका रहा है I don't care, बस इतना याद रखना वो तेरे लिऐ बस एक मोहरा है जिसका तूझे बस इस्तमाल करना है। क्यों के परी दी और तपस्या को एक साथ तो अपने जिंदगी मे शामिल नहीं कर सकता । किसी एक की तबाही तो पक्की है, वो परी दी होगी या तपस्या अब तू ही डिसाइड करले।।"

कहकर उसने फ़ोन कट कर दीया। और किसी सनकी की तरह phone के गैलरी में से विराट की पिक्चर निकाल कर अपनी होठों के क़रीब लेकर फील करते हुऐ सनक भरी आवाज में बोली

"Mr विराट अग्निहोत्री यू आर ओनली माइन। तुम्हें क्या लगा वो बेवकूफ श्लोक नहीं बोलेगा तो मुझे ये पता नहीं चलेगा के तू कहां पर होगा।"

कहते हुए ही वो पागलों की तरह हंसने लगीं। और गहरी सांस लेकर बोली

"पहले से ही पता था मुझे के जब भी उस तपस्या को अपने सामने देखेगा यूंही पिघलने लगेगा।"

कहकर वो परी के कमरे के ओर देखते हुऐ बोली"मैने भी अपने मोहरे रेडी करके रखे है। तू चाहे तो भी  बहकने का हक नहीं है तूझे। तू अगर किसिके करीब आकर बहकेगा वो बस मैं हुं।"

बोलकर वो एक डेवल मुसकुराहट लिए वहां से चली गई।

और इस बीच विराट वापस से वीर कश्यप से विराट अग्निहोत्री बन चूका था। और तपस्या उस केलिए उसकी प्रिंसेस नहीं यशबर्धन रायचंद की पोती तपस्या रायचंद बन चुकी थी।


कहानी आगे जारी है ❤️