Shubham - Kahi Deep Jale Kahi Dil - 36 in Hindi Moral Stories by Kaushik Dave books and stories PDF | शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 36

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शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 36

"शुभम -  कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -३६)

ज्योति जी,जो ऐन जी ओ की हेड है,वह शुभम को मदद करने के लिए अस्पताल आती है।
डॉक्टर शुभम और ज्योति बातचीत करते हैं।
अब आगे 

ज्योति:-'ओह... मुझे आपसे पूछते हुए दुख हो रहा है, लेकिन आपसे ही सच पता चल सकेगा। मेरी आपसे सहानुभूति है।मुझे भी कितना दुख हुआ होगा जब युक्ति की मृत्यु की खबर सुनी थी।फिर तुमने बच्चों का पालन-पोषण कैसे किया? इतने सालों तक अकेले रहकर माता-पिता का प्यार दिया।'

डॉक्टर शुभम:-'भगवान की दया से मैंने एक फुलटाइम दाई और नर्स रख ली थी। अब बच्चे भी जवान हो गए हैं। समय-समय पर सब कुछ हो जाता है।'

  ज्योति:- 'डॉक्टर साहब मैं वास्तव में आपके संघर्ष, धैर्य और साहस के लिए आपको धन्यवाद देती हूं। ठीक है..मुझे अब जाना चाहिए..लेकिन पहले मैं सोहन को देखना चाहती हूं।'

कुछ ही मिनटों में डॉक्टर शुभम ज्योतिजी को अपने साथ लेकर सोहन से मिलने गए।

डॉक्टर शुभम ने ज्योतिजी की मुलाकात सोहन से करायी.
ज्योति ने डॉ. शुभम से विदा ली।

जाते-जाते ज्योति बोली:-' मेरी बातें याद रखना। जब भी तुम्हें मेरी जरूरत हो मुझे फोन कर देना। यदि हम साथ-साथ जिम्मेदार उठाने को चाहते हो, तो भी मैं तैयार हूं। तुम्हारी उम्र इतनी ज्यादा दिखती नहीं है। अभी भी स्मार्ट दिखते हो। वो क्या है कि मुझे भी एक सहारे की जरूरत है। फिर मर्जी तुम्हारी। तुम्हारी सेवा निवृत्त के बाद भी मैं तैयार हूं।

स्माइल करके ज्योति चली गई।

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पूरे दिन अस्पताल में काम करने के बाद डॉक्टर शुभम शाम को अपने क्वार्टर में आये।

वह सोचने लगा कि रूपा ने जो कहा, वह तो उसने सुना ही नहीं।  क्या मुझे उसके कॉल का इंतज़ार करना चाहिए या उसे कॉल करना चाहिए?  ..नहीं..नहीं..उसे संदेश भेजें।

डॉक्टर शुभम ने रूपा को मैसेज किया..
क्या मैं आपसे बात कर सकता हूँ? जब आपको समय मिले तो मुझे कॉल करें।

कुछ ही मिनटों में रूपा का मैसेज आया कि मैं एक घंटे में कॉल करूंगी.

डॉक्टर शुभम को युक्ति की याद आती है, ज्योति युक्ति की अचानक मौत के बारे में पूछती है, इस प्रकार शुभम के पुराने घाव ताजा हो जाते हैं।

डॉक्टर शुभम सोचते हैं कि चलो अच्छा ही हुआ था कि ज्योति जी आ गई थी। सोहन को मदद करने के लिए तैयार है। उनके जीवन में भी दुःख दर्द है।और अपने प्रेमी से धोखा खा चुकी थी इसलिए ही उसने मुझे धमकी देकर युक्ति से शादी करने के लिए फोर्स किया था। लेकिन ज्योति दिल की अच्छी है। उन्होंने अपने मन की बातें बताई। लेकिन जब भी शादी की बातें की तो मुझे शादी नहीं करनी। मेरी प्राथमिकता अपने बच्चों की जिंदगी को सेटल करना है। मेरी प्रांजल भी एक साल में शादी के योग्य हो जाएगी। रुपा के प्रति आकर्षित हूं। मेरा पहला प्यार रुपा ही है। रुपा मेरा इंतजार करती रही और किसी दूसरे से शादी नहीं की। उसने मेरे लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है। मैं रुपा के साथ अन्याय कर रहा हूं ऐसा लगता है।
ज्योति ने युक्ति की बातें की थी।
युक्ति 
शुभम को याद आया, युक्ति के आत्महत्या करने से एक रात पहले ही उसका युक्ति से झगड़ा हुआ था। उसकी मानसिक हालत खराब हो गई थी। दवाई देता था लेकिन दवाई खातीं नहीं थी।उस रात की बातें याद है जब युक्ति झगड़ा करने को तुली थी।उसको शंका थी कि अब भी मैं डाक्टर रूपा से प्यार करता हूं।वह बोली थी..., तुम अभी भी रूपा के साथ रिश्ते में हो। मुझे रूपा और तुम्हारे रिश्ते पर शक है।  हंगामे से घर का सामान अस्त-व्यस्त हो गया, बमुश्किल शांत हुआ।
लेकिन..लेकिन..अगले दिन अस्पताल में मरीजों को देखते समय एक कर्मचारी दौड़ता हुआ आया और बोला सर आपके क्वार्टर से बहुत शोर आ रहा है। चीखने जैसा लग रहा है। जल्दी जाओ। युक्ति बहन परेशानी में लग रही है। यह सुनकर तुरंत क्वार्टर की ओर भागा। घर आकर देखा तो युक्ति ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी । तब दाई ने बताया कि जब वह दोनों बच्चों को सुला रही थी, तो युक्ति बहन बचाने के लिए इधर-उधर चिल्लाने लगी।  युक्ति मैडम खुद ही बेडरूम में चली गयीं और उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। वह चिल्लाने लगी लेकिन कोई बचाने के लिए नहीं आया था। मुझे बच्चों की चिंता थी।शोर सुनकर स्टाफ का आदमी आ गया और साथ में मैसेज भी कर दिया कि सर, मुझे डर लग रहा है.  मुझे पुलिस जांच से कोई परेशानी नहीं होगी!  दुखी होकर मैंने उसे सांत्वना दी और बच्चों की रक्षा करने को कहा।
ये पुरानी बातें याद करके ही बहुत दुख होता है।
एक मां अपने बच्चों की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं थी। शायद युक्ति के मन में जो शंका थी उसकी वजह से ही उसके मन में ख़राब विचार आते थे।
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कुछ ही मिनट में प्रांजल का मैसेज आया कि हम घर आने के लिए निकल पड़े हैं।  मैं और मेरी दोस्त दिव्या भी ट्रेन में आ रहे हैं।मैं व्यक्तिगत रूप से आकर आपको विशेष महत्व की खबर सुनाऊंगा जो मैंने परितोष भाई से बात की थी, यह बहुत ही आश्चर्यजनक खबर है।  मेरी दोस्त दिव्या कल्याणम रूपा आंटी की भतीजी है। वह रूपा आंटी के घर पर रहने वाली है।
( इसके आगे की कहानी नये पार्ट में)
-कौशिक दवे