A Perfect Murder - 27 in Hindi Thriller by astha singhal books and stories PDF | ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 27

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 27

भाग 27

वर्तमान समय
**************

प्रीति की आँखों में आँसू थे। ऐसा लग रहा था मानो वो अभी भी उसी दर्द और पीड़ा से गुज़र रही थी।

कविता भी उसकी आप-बीती सुन दिल से दुखी थी। दो प्यार करने वालों का बिछड़ जाना उसे कभी पसंद नहीं आया।

“तो, अमोल को कभी पता चला कि तू क्यों नहीं आई?” कविता ने पूछा।

“नहीं, काफी समय तक पता नहीं चला। सोनिया के भाई ने सोनिया को बताया कि मैंने एक अमीर लड़के से शादी के लिए हाँ कर दी है। और मैं इंडिया से बाहर सैटल हो गई हूँ। यही बात ज़ाहिर है सोनिया ने अमोल को बताई होगी। कुछ समय बाद पता चला कि अमोल ने शादी कर ली। उस दिन, कुछ टूट गया था अंदर तक। पर, ग़लत तो अमोल भी नहीं था।” प्रीति अपनी आँखों के आंँसू पोंछती हुई बोली।

“पर तेरी शादी तुझसे दस साल बड़े आदमी से कैसे कर दी अंकल ने? वो भी जिसका एक नौ साल का बेटा था? क्या सिर्फ इसलिए कि तेरे पति बहुत अमीर हैं?” कविता के मन में प्रश्नों का तुफान उमड़ पड़ा था।

प्रीति थोड़ी देर कविता के प्रश्न सुन मुस्कुराती रही। पर उसकी मुस्कराहट में बहुत दर्द छिपा था। फिर बोली, “इस आदमी से मेरी शादी मुझे सज़ा देने के लिए की गई।”

कविता हैरान हो उसे देखते हुए बोली, “अमोल से प्यार करने की सजा?”

“नहीं, उसके…उसके बच्चे की माँ बनने की सजा।” ये बोल प्रीति रोने लगी। कविता उसे सांत्वना देती हुई उसके पास आ बैठी।

“ये…क्या कह रही है प्रीति? तू…”

“दुबई पहुंचने के कुछ हफ्तों बाद पता चला कि मैं प्रेग्नेंट हूँ। दो माह हो चुके थे। मौसी ने जब ये बात पापा को बताई तो उन्होंने बिना मुझसे पूछे, ज़बरदस्ती मेरा अबॉर्शन करा दिया। ये जानते हुए भी कि मेरी जान को खतरा हो सकता है। फिर उनके किसी दोस्त के ज़रिए ये रिश्ता सामने आया और उन्होंने बस मुझसे पीछा छुड़ाने के लिए मुझे बांध दिया मुझसे दस साल बड़े आदमी से।” प्रीति रोते हुए अपनी कहानी सुना रही थी।

कविता के दिल में प्रीति के लिए सांत्वना उमड़ रही थी। “तूने इस रिश्ते के लिए हाँ क्यों की?”

“मेरी हाँ या ना से किसी को कोई सरोकार कहाँ था। और मुझे तो शादी वाले दिन पता चला कि लड़का बड़ा है और उसके एक बेटा है। क्या करती? घर-परिवार की नज़रों में पहले ही गिर चुकी थी। नये घर के लोगों की नज़रों में भी गिर जाती। इसलिए चुप कर गयी। नियति सोच कर समझौता कर लिया। ये सोचा था कि शायद एक अच्छी ज़िन्दगी मेरा इंतज़ार कर रही होगी। पर मेरी तो किस्मत भी मुझसे रुठ गई थी।
मुझे आज भी याद है अपनी पहली रात….उस दिन एहसास हुआ था कि मैं इस घर में महज एक शो पीस हूँ। वो भी खूबसूरत शो पीस नहीं, कहीं कोने में धूल से सना रखा एक पुराना शो पीस।‌

ये कह प्रीति उस रात को याद कर खो सी गई…

फ़्लैश बैक
*********

जब प्रीति अपने कमरे में दाखिल हुई तो उसने नज़रें उठा कर देखा। ना फूलों की सेज थी ना कोई सजावट। वो चुपचाप जाकर पलंग पर बैठ गई। कमरा क्या वो तो एक बहुत बड़ा हॉल था। प्रीति मन ही मन सोचने लगी कि शायद इस घर के सभी कमरे इतने ही बड़े हैं।

काफी देर अपने पति का इंतज़ार करने के बाद जब वो नहीं आया तो प्रीति वहीं बिस्तर पर लेट गई। अचानक, उसे कुछ खटके का एहसास हुआ। उसने देखा कि उसका पति प्रमोद नशे की हालत में अंदर आ रहा था। उसके कदम लड़खड़ा रहे थे। प्रीति सहम गई। वो सिकुड़ कर अपने बिस्तर‌ के कोने में सिमट गई।

प्रमोद बिल्कुल भी होश में नहीं था। उसने एक नज़र प्रीति पर डाली। प्रीति ने थोड़ा सा सिर उठाकर उसे देखा। पैंतीस साल के लगभग उम्र थी उसकी। चेहरे पर बहुत घनी मूंछें थीं। हल्की सी दाढ़ी रखी हुई थी उसने। प्रमोद का रंग प्रीति के रंग से बहुत ज़्यादा साफ था। उसके चेहरे पर उसकी बड़ी-बड़ी आँखें बिल्कुल जच नहीं रहीं थीं। ऊपर से उस समय उसकी बड़ी आँखें शराब के नशे में लाल नज़र आ रहीं थीं। जिसे देख प्रीति डर गई।

प्रमोद उसके नज़दीक आया, बेहद नज़दीक। उसकी आँखों में हवस साफ दिखाई दे रही थी। उसने अपनी उन्हीं हवस भरी आँखों से प्रीति को ऊपर से नीचे तक देखा। फिर अपने हाथ उसके शरीर पर चलाने शुरू कर दिए। प्रीति एक बेजान शरीर की तरह बिस्तर पर लेटी हुई थी। वो जानती थी कि उसके मना करने पर भी हवस से वशीभूत उसका पति रुकेगा नहीं।

धीरे-धीरे प्रमोद उसे चूमते हुए रुक गया। और फिर उसके चेहरे के बहुत करीब आकर बोला,
“चेहरे को गोरा बनाया जा सकता है, पर पूरे शरीर को कैसे गोरा बनाएंगे। तुम्हारे शरीर को तो चूमने का भी मन नहीं कर रहा। पर…तुम्हें ये बताना ज़रूरी है कि तुमने जिससे शादी की है वो नपुंसक नहीं है।” ये कह प्रमोद उसपर टूट पड़ा और प्रीति एक बेजान लाश की तरह अपने शरीर पर हो रहे हर वार को सहती रही।

अगली सुबह जब प्रीति उठी तो प्रमोद कमरे में नहीं था। तभी नौकरानी ने दरवाजा खटखटाते हुए कहा, “मालकिन, बड़ी मालकिन आपको नीचे बुला रहीं हैं। तैयार होकर आ जाइए।”

प्रीति ने अपने टूटे शरीर और बिखरे कपड़ों को समेटा और स्नानघर की तरफ चल दी।

लगभग आधे घंटे पश्चात वो तैयार हो नीचे उतरी। प्रमोद पहले से तैयार हो वहां मौजूद था। उसने एक नज़र उठाकर प्रीति की तरफ देखा तक नहीं। प्रीति की सास ने बहुत प्यार से उसे अपने करीब बुलाया और पूजा में बैठने को कहा।

पूजा संपन्न होने के बाद उसकी सास ने प्रमोद के बेटे आर्यन को अपने पास बुलाया और कहा, “आज से आप अपनी नई माँ की सारी बात मानेंगे। ये आपको स्कूल के लिए तैयार करेंगी, पढ़ाएंगी और खाना भी खिलाएंगी।”

आर्यन ने पहले प्रीति की तरफ देखा और फिर अपनी दादी को बोला, “ये काम तो शकु आंटी भी कर रहीं थीं। नयी माँ लाने की क्या ज़रूरत थी?”
ये कह आर्यन वहां से चला गया। प्रीति का दिल अंदर ही अंदर रो रहा था। रात को पति से तिरस्कार मिला और अब पुत्र से। उसकी सास उसकी तरफ देख मुस्कुराते हुए बोली, “बच्चा है अभी, तुम इसकी बात का बुरा मत मानना। अब तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो।” ये कह उसकी सास भी अपने कमरे में चली गई।

प्रीति कमरे में पहुंच अपने बैग से कपड़े निकालने लगी। उसने कपड़े रखने के लिए जैसे ही अलमारी खोली उसने देखा अलमारी खाली थी। वहाँ प्रमोद के कपड़े नहीं थे। उसे ये देख बहुत आश्चर्य हुआ। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। उसने पलट कर देखा तो प्रमोद खड़ा था।

प्रमोद को देख वो थोड़ा सा सहम सी गई। रात भर प्रमोद ने जिस वहशीपन से उसकी इज़्ज़त और शरीर के चीथड़े किए थे उसका दर्द अभी 9तक उसकी आत्मा और शरीर दोनों में हो रहा था।

“मैं अंदर आ सकता हूँ?” प्रमोद ने बेहद शिष्टता के साथ पूछा।

प्रीति उसके इस अंदाज़ पर हैरान हो गई। रात वाला प्रमोद और अभी जो उसके सामने खड़ा है उसमें ज़मीन आसमान का फर्क था।

“आप ही का कमरा है, आ जाइए।” प्रीति ने बेमन से कहा।

प्रमोद ने अंदर आते हुए कहा, “जी नहीं, ये कमरा मेरा नहीं है सिर्फ आपका है।”

इसके बाद प्रमोद ने जो कहा उससे प्रीति की मानो रही-सही उम्मीद भी खत्म हो गई।



क्रमशः
आस्था सिंघल