Bandhan pyar ka - 17 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बन्धन प्यार का - 17

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बन्धन प्यार का - 17

हिना मोबाइल देख रही थी तभी फोन की घण्टी बजी।सबीना का फोन था हिना फोन कान से लगाकर बोली,"हा सबीना
सबीना बंगला देश की थी और हिना के साथ ही काम करती थिंदोनो में अच्छी दोस्ती थी।
"कहा है तू
"नरेश के घर पर
"क्यो
"चोट लग गयीं।नरेश ले आया
"चोट।केसी चोट
हिना ने सबीना को पूरा वाक्या सुनाया था।उसे सुनकर सबीना बोली,"अब केसी है
"मामूली चोट है
औऱ कुछ देर तक दोनों फोन पर बाते करती रही थी।
"खाना तैयार है
नरेश ने कहा था।हिना खाने की प्लेटे देखते हुए बोली,"तुमने तो कई चीजें बना ली
"कई कहा है।दाल ,चावल,रोटी,सब्जी और हलवा
"लो मुह खोलो
नरेश ने चमच से हिना को हलवा खिलाया था,"तुम पहली बार घर आई हो इसलिए पहले मीठा मुँह करो
"तुम पहली बार मुझे अपने हाथ का बना खिला रहे हो इसलिए तुम भी हलवा खाओ।"हिना भी नरेश को हलवा खिलाते हुए बोली थी।
दोनों खाना खाते हुए बाते करते रहे।खाना खाने के बाद नरेश बोला,"कैसा लगा मेरे हाथ का खाना
"अच्छा खाना बना लेत हो
नरेश किचन में चला गया। कुछ देर बाद वह आया था।दोनों फिर टी वी देखने लगे।
"मैं अभी आया
नरेश उठते हुए बोला
"कहा जा रहे हो
"पास में ही
और नरेश आधे घण्टे बाद लौटा था
"ये क्या
"देखो
नरेश ,हिना के लिए कपड़े आदि समान लेकर आया था
"अरे क्यो ले आये
"कल चेंज क्या करोगी
"पैसे खराब किये।मैं सुबह चली जाती
"तुम्हे जाने की बड़ी जल्दी है,"नरेश नाराज होते हुए बोला,"तुम अभी चली जाओ
"सॉरी,"हिना माफी मांगते हुए बोली,"प्लीज नाराज मत हो ओ
"तुम बात ही ऐसी कर रही हो
"निकाह के बाद भी ऐसे ही करोगे क्या
"डंडे से मारूंगा
"ऐसे आदमी से निकाह क्यो करूँगी जो अभी से मारने की बात कर रहा ही
"तुम इतनी शरीफ हो क्या जो पिट लोगी
"बीबी बेचारी क्या करे
"बस ये करो कि अभी सो जाओ,"नरेश बोला,"तुम इस कमरे में सी जाओ।मैं दूसरे कमरे में
"दूसरे में क्यो।पलँग इतना बड़ा है हम दोनों आराम से सो सकते है
"पलँग तो बड़ा है लेकिन अभी मेरे पास तुम्हारे साथ सोने का अधिकार नहीं है,"नरेश बोला,"जल्दी से यह अधिकार मिल जाये बस
"उतावले मत हो
"नही हूँ
नरेश दूसरे कमरे में जाकर लेट गया।उसकी आँखों मे नींद नही थी।वह लेटा हुआ हिना के साथ अपने भविष्य के सुंदर सपने देखने लगा।कैसा होगा उसका दाम्पत्य।उसकी माँ क्या एक विधर्मी लडक़ी के लिए मा न जाएगी।तमाम सवाल थे जो उसके मन मे उठ रहे थे।और सपने देखते देखते ही न जा ने कब उसे नींद आ गयी थी।
दूसरे कमरे में हिना भी अपनी माँ के कट्टर पन से परिचित थी इसलिए संसय में थी।उसने अनेक लड़के देखे थे और नरेश से मिलकर ही उसे दिल दे बेटी थी।
कैसी होगी उसकी जिंदगी नरेश के साथ।चाहे केसी भी हो लेकिन कम से कम तलाक,हलाला,सौतन का भय तो नही रहेगा।एक कि तो बनकर रहेगी।और अपने दाम्पत्य के सुनहरे सपने देखते हुए सो गई थी।सुबह उसकी आंख खुली तो दैनिक कार्य से निवर्त होकर किचन में गई।और चाय बनाने लगी
चाय बनाकर वह नरेश के कमरे में पहुंची थी।
"नरेश
वह गहरी नींद में सो रहा था।कई आवाज देने पर भी नही उठा तो उसने उसका हाथ पकड़कर हिलाया था।
"क्या है सो ने दो न
"चाय पी लो
"चाय बना ली तुमने
"हां
"रसोई में सामान मिल गया तुम्हे
"मैं औरत हूँ
"ओ। सॉरी
चाय पीते हुए नरेश बोला,"क्या तुम्हारे यहा औरते चूड़ी नही पहनती
हिना का हाथ देखकर नरेश बोला था