unknown connection - 41 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | अनजान रीश्ता - 41

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अनजान रीश्ता - 41

पारुल और सेम डाइनिंग टेबल पर खाना खाने बैठे थे सेम पारुल से यूं ही कुछ बातें कर रहा था। सेम के मोम डैड भी पारुल से कुछ सिलसिले में बात कर रहे थे लेकिन पारुल का मन थोड़ी देर पहले जो बात है अविनाश ने कहीं वही उसके मन में घूम रही थी। वह सेम को जवाब तो दे रही थी परंतु उसका मन विचलित था। वह समझ नहीं पा रही थी कि उसकी जिंदगी में क्या हो रहा है। यह एक सपना है या सच वह समझ नहीं पा रही थी । वह बस इस सारी समस्या को खतम करना चाहता थी । लेकिन इसका जवाब एक ही इंसान दे सकता है ओर वो है अविनाश। वह मन ही मन सोचती है कि उसे अविनाश से बात करनी ही होगी । तभी सेम पारुल से कहता है।

सेम: ( धीरे से पारुल के सुनाई दे इतनी आवाज में )पारो!!?
पारुल: हां!!!?
सेम: तुम खाना क्यों नहीं खा रही हो सब कुछ ठीक तो है ना!!? या फिर तुम्हे खाना पसंद नहीं तो मै कुछ ओर मंगवा देता हूं!!।
पारुल: ( मुस्कुराने की कोशिश करते हुए ) नहीं!! मतलब खाना बहुत ही स्वादिष्ट है वह में किसी बात के बारे में सोच रही थी बस और कुछ भी नहीं ।
सेम: ( पारुल का हाथ टेबल के नीचे से पकड़ते हुए ) सच में सब कुछ ठीक है ना ।
पारुल: सेम सच में सब कुछ ठीक है ।
सेम: ( पारुल के हाथ को छोड़ते हुए ) ठीक है फिर लेकिन अगर कोई भी प्रॉब्लम हो तो बेजिजक तुम मुझसे बात कर सकती हो ।
पारुल: ( मुस्कुराते हुए ) शुक्रिया सेम !!।
सेम: तुम्हारे लिए तो जान भी हाजर है मेरी बसंती!!!।
पारुल: हाहाहहा!! सीरियसली तुम है अच्छी तरह से पता है कि मेरा मूड कैसे बदलना है नहीं!!।
सेम: अब तुम्हे दुखी देखकर मै भला कैसे खुश रह सकता हूं । तो तुम्हे खुश रखना जरूरी है ।
पारुल: वाह भाई क्या बात है वैसे वह सेम कहा गया जो हर लड़की पे मरता था । ये भला कौन सा सेम है ।
सेम: ( मुस्कुराते हुए ) पहली बात डोंट बी जेल्स क्योंकि जैसा मैंने पहले कहां है तुम्हारी जगह मेरी जिंदगी में कोई नहीं ले सकता । और दूसरी बात वो सब सिर्फ दिल बहलाने का काम था और तुम इस दिल में धड़कने वाली धड़कन तो तुम ही बताओ भला कोई इंसान धड़कन के बिना कैसे जी सकता है ।
पारुल: सेम!!! तुम कभी कभी मुझे स्पिचलेस कर देते हो। गोड इतने बड़ी बड़ी बाते कैसे कर लेते हो !!?
सेम: अब हम क्या करे मोहतरमा अब ये आपके प्यार का असर है।
पारुल: हाहाहाहाह!! सच में अगर इन फ्यूचर मुझे कुछ हो गया तो क्या करोगे हां!!?
सेम: ( गुस्से में )फर्स्ट तो बकवास बाते बंद करो और अगर ऐसा ना चाहते हुए भी हुआ तो सच कह रहा हूं जिंदा लाश बन जाऊंगा मै।
पारुल: फाईन!! मेरे ब्बन शेर अब तुम्हारे हाथ पीले करवाने ही पड़ेंगे ।
सेम: ( गुस्से में पारुल की ओर देखता है) तुम्हे नहीं लगता तुम मेरे प्यार का गलत इस्तेमाल कर रही हो !! अभी पुराना हिसाब भी बाकी है याद रखिओ सूत समेत बदला लूंगा।
पारुल: ( सेम को चिढ़ाते हूंए ) हां देख लेंगे ।
सेम: चैलेंज!!
पारुल: चैलेंज!!।
सेम: ठीक है फिर ।
पारुल: ( जवाब में सिर्फ मुस्कुराती है ।)
सेम: चलो अब खाना खाओ !!
पारुल: मुझे वैसे भी जोरो की भूख लगी है ओर इसकी खुश्बू और भी भूख बढ़ा रही है ।
सेम: ( हंसते हुए ) हां तो खाओ ना किसने रोका है तुम्हे !! ( बिल्कुल बच्चो जैसी है अभी थोड़ी देर पहले न जाने किस सोच में पड़ी थी और अब ) हाहाहाहाहा...।
पारुल: ( मुंह पूरा भरा हुआ था ) क् ....या तुम... अकेले ... क्यों हंस रहे हो ।
सेम: कुछ नहीं चलो खाना खाते है।
पारुल: दिल की बात कह दी तुमने तो मेरी।
सेम: ( मुस्कुराते हुए सिर्फ अपना सिर हिलाते हुए पारुल के बात का हा में जवाब देता है ।)

वह दोनों ऐसे ही खाना खा रहे थे। सेम तो बस खाना खाने के बहाने पारुल को चुपके चुपके देख रहा था। जिस तरह से वह खा रही थी और कितनी मासूम है वह सोच रहा था। तभी अविनाश टेबल पर आता है । जिससे पारुल खासना शुरू कर देती है । तभी सेम उसे पानी देता है और कहता है कि क्या हुआ । तो पारुल कहती है कि वह जल्दी जल्दी खाना खा रही थी इस वजह से शायद । सेम मुस्कुराते हुए समझ नहीं पाता कि क्या करे इस लड़की का बस अपना ध्यान रखना ही नहीं है बस जब देखो तब अपने आप को परेशान करती रहती है।

सेम: ( पारुल की पीठ सहलाते हुए ) कोई बात नहीं आगे से ध्यान रखना।
पारुल: हम्म!!
तभी अविनाश पारुल की बगल वाली कुर्सी पे आके बैठता है जिससे पारुल उसकी ओर आश्चर्य से देखती है। पर वह उससे इग्नोर करते हुए अपनी प्लेट में खाना परोस रहा था।
निर्मला: में परोस देती हूं बेटा!
अविनाश: नो थैंक यूं मैंने ऑलरेडी ले लिया है।
पारुल: ( मन ही मन में सोचती है कितना अकडू है खडूस कहीं का )...
निर्मला: और अवी काम कैसा चल रहा है ?
अविनाश: बस जैसे पहले चलता था। वैसे ही ।
अश्विन: निर्मला तुम अपना खाना खाओ ठंडा हो रहा है।
सेम: भाई!! मैंने सुना था कि आपका कोनसरट था थोड़े टाइम पहले ब्रिटेन मै।
अविनाश: हां बिल्कुल!!
सेम: सो इट इस ट्रू!!!।
अविनाश: व्हाट!! ( आइब्रो ऊपर करते हुए )
सेम: धेट यू एंड धी सुपर मॉडल बेला क्रूज़ लव इच अधर । ओह माय गॉड आई नेवर न्यू इट इस ट्रु। फाइनली यू फाऊंड योर लव ऑफ लाईफ।
पारुल ना चाहते हुए भी यह सुनकर जेल्स फिल कर रही थी । उससे गुस्सा भी आ रहा था कि अभी थोड़ी देर पहले तो बड़ी बड़ी बाते कर रहा था और अब देखो ...!
अविनाश: एसा कुछ नहीं है रोहन वो... बस ... वन नाइट स्टैंड था और कुछ नहीं ।
पारुल यह सुनकर अविनाश की ओर आश्चर्य से देखती है । वह सोचती है कि कितना आसान है अविनाश के लिए कहना की वह ऐसे ही किसी के साथ बिना किसी फिलिंग के कुछ भी कर सकता है । अविनाश भी पारुल की ओर ही देख रहा था । वह फिर अपना ध्यान हटाते खाना खाने लगती है।
सेम: पारो!!?
पारुल: हम्म!!
सेम: मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है।
पारुल: ( जानती थी किस बारे में बात करने वाला है सेम ) बोलो!!!
सेम: वैट मै अभी आया मेरे रूम कुछ स्पेश्यल गिफ्ट है वह लेके आया में ।
पारुल: ( सिर हिलाते हुए सेम की बात में हामी भरते हुए )
सेम को अपने रूम में जाते हुए पारुल देखती है । तभी वह थोडी नर्वस थी और बस आगे क्या होगा वह सोच रही थी । तभी पारुल को महसूस होता है कि जैसे कि कोई उसके बेहद करीब था । जब वह देखती है तो अविनाश उसके बिल्कुल नजदीक था । इतने नजदीक के पारुल को उसकी सांस की गर्मी महसूस हो रही थी । तभी अविनाश धीरे से कहता है ।

अविनाश: ( धीरे से ) चिल्लाना मत!! ( इतना कहते हुए वह पारुल से दूर जाते हुए टेबल के नीचे से पारुल का हाथ अपने हाथ की उंगलियों से जोड़ देता है।)
पारुल: ( पारुल की आंखे आश्चर्य से बड़ी हो गई थी । वह अविनाश की ओर देख रही थी । वह मुस्कुरा रहा था।)
अविनाश: ( मुस्कुराते हुए ) क्या हुआ खाना खाओ
पारुल: ( हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए ) जी!!
निर्मला: तो पारुल!!
पारुल: ( हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है) जी आंटी।
अविनाश और भी कस के हाथ पकड़ लेता है ।
निर्मला: फ्यूचर का क्या प्लान है बेटा!!
पारुल: बस अभी तो कॉलेज खतम हो उसके बाद ही कुछ सोचूंगी ।
निर्मला: और शादी के बारे में क्या सोचा है ।
पारुल: ( खांसते हुए ) जी!!
अश्विन: ( जोर से हंसते हुए ) निर्मला क्यों परेशान कर रही हो बैचारी को।
निर्मला: अरे मै कहां परेशान कर रही हूं मै सच मै पारुल और सेम की शादी के बारे में बात कर रही हू! मुझे तो जल्द से जल्द पारुल को बहू बनाके लाना है । वर्ना इस गधे को फिर ऐसी लड़की नहीं मिलेगी ।
पारुल: ( शादी की बात सुनकर शर्मा जाती है और कुछ जवाब नहीं दे पाती ) ( चिल्ला उठती है ) आऊंच..! ( अविनाश की ओर देखती है )
निर्मला: क्या हुआ बेटा!!
पारुल: वो ... वो.. आंटी गलती से पाव चेयर के साथ टकरा गया ।
निर्मला: ज्यादा तो नहीं लगी
पारुल: नहीं नहीं आंटी । ( धीरे से अविनाश को कहती है ।) क्या कर रहे हो मुझे दर्द हो रहा है ।
अविनाश: ( गुस्से में ) अच्छा!! और जब वह शादी की बात कर रहे थे तब शरमाने कि क्या ज़रूरत थी । जैसे कि सच मै तुम्हारी शादी होने वाली हो हां!!
पारुल: पागल हो गए हो हाथ छोड़ो मेरा मुझे दर्द हो रहा है।
अविनाश: ( कस के हाथ पकड़ते हुए ) और जब सेम तुम्हे छू रहा था तब तो कोई दर्द नहीं हुआ।
पारुल: तुम कहां की बात कहां ले जा रहे हो । वह मुझे हेल्प कर रहा था ।
अविनाश: वाव!! क्या बात है !!! ( पारुल के करीब जाते हुए ) एक बात ध्यान से सुनो और यह में आखिरी बार बता रहा हूं आइंदा किसी और लड़के के बारे में सोचा भी ना प्रिंसेस तो सच कह रहा हूं वह लड़का इस दुनिया में दुबारा तुम्हे नहीं मिलेगा । तो सोच समझ के करना जो भी तुम करो।
पारुल: ( आसपास देखते हुए ) क्या कर रहे हो दूर जाओ!! तुम्हारे मोम डेड सामने बैठे है ।
अविनाश: ( पारुल के कान में धीरे से कहता है ) मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन देख रहा है और क्या सोच रहा है। लेकिन आइंदा अगर तुमसे ऐसी गलती हुईं तो अंजाम अच्छा नहीं होगा इस धेट क्लियर।
पारुल: ( ना चाहते हुए भी सिर हिलाते हुए हा में जवाब देती है।)
अविनाश: गुड नाउ अभी सेम आएगा तब तुम्हे पता ही है तुम्हे क्या करना है । राइट।
पारुल: ( अविनाश की ओर देखती है ) लेकिन..
अविनाश: लेकिन क्या...
पारुल: सेम....!
अविनाश: ( गुस्से में ) तुम्हे सेम के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है । इनफेक्ट तुम्हे दुनिया के किसी भी लड़के के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है । तुम्हे अगर फिक्र करनी ही है तो मेरी करो।
पारुल: मुझसे नहीं हो पाएगा ।
अविनाश: ( आइब्रो ऊपर करते हुए ) क्या नहीं हो पाएगा!?
पारुल: मै सेम का दिल नहीं तोड़ सकती वह एक बहुत ही अच्छा इंसान है । आई कांट डू धेट।
अविनाश: ( गुस्से में कुछ कहने ही वाला था कि तभी वह सेम को आते हुए देखता है और वह पारुल से दूर चला जाता है ।) हम इस बारे में बाद में बात करेंगे लेकिन याद रखना अभी तुम जो भी करोगी उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा तो सोच समझकर करना ।

सेम पारुल के करीब आते हुए उसके हाथ को अपने हाथ में लेते हुए एक पैर पर बैठते हुए कहता है । मिस पारुल व्यास क्या तुम मेरी जिंदगी मेरी खुशियां मेरे गम और मेरे पागलपन में मेरा साथ दोगी। बदले में तुम्हारी सारी ख्वाइश तुम्हारे सारे गम खुशियों में बदलने का काम मेरा और तुम्हे दुनिया कि हर खुशियां देने की पूरी कोशिश करूंगा। और अगर तुम्हारी आंखो मै कभी आंसू आयेगे जो की में जानता हूं नहीं आयेगे आखिर तुम समीर रायचंद के साथ रहोगी तो दुखी रहना इंपॉसिबल है । हा तो तुम्हारे आंसू को मुस्कुराहट में बदलने का काम भी मेरा । और तो और मुझे खाना भी बनाना आता है जिससे मै तुम्हे नई नई डीशस बनाके खिलता रहूंगा । और मोस्ट इंपॉर्टेंट ( पारुल की आंखो में देखते हुए ) तुम्हे हमेशा प्यार करता रहूंगा चाहे फिर तुम मुझे प्यार करो या ना करो । तो ...!! पारुल समझ नहीं पा रही थी क्या करे । किसकी बात सुने मन की या दिल की । क्योंकि वह जानती थी वह सेम को पसंद करती है लेकिन प्यार नहीं और अविनाश की बाते भी उसके दिमाग में घूम रही थी । वह आंखे बंद करती है फिर थोड़ी देर बाद खोलते हुए वह सेम की ओर देखते हुए कहती है । सेम.... मै ... आई ... मीन... यस... । यह सुनकर सेम खुशी के मारे पारुल को कस के गले लगा लेता है और कहता है । थैंक्यू थैंक्यू थैंक्यू सो मच पारो । सेम के मोम डेड भी ताली बजाते है । तभी पारुल का ध्यान अविनाश की ओर जाता है जो कि ज्वालामुखी की तरह लाल हो गया था मानो जैसे वह किसी भी समय फट जाएगा । अविनाश को देखकर पारुल का गला सूख गया था । वह जानती थी कि अविनाश की बात ना मानकर उसने बहुत बड़ी मुसीबत में फंसने वाली है।