पुराने समय की बात है जब घने जंगलों के नाम से ही गांव के लोग कांप जाते थे. रात होते ही पेड़ों के बीच ऐसी सरसराहट सुनाई देती थी जैसे कोई अदृश्य चीज जमीन को खुरचती हुई घूम रही हो. हवामें अजीब सी दुर्गंध इस बात का एहसास दिलाती थी कि वहां कुछ ऐसा है जिसे कोई आंख देख नहीं सकती लेकिन वह सबको देखता रहता है. लोग कहते थे कि जंगल में एक ऐसी शक्ति रहती है जो इंसानी आत्मा की भूखी है और वह हर उस रात जाग जाती है जब चांद बादलों में छिप जाता है.

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Salmon Demon - 1

पुराने समय की बात है जब घने जंगलों के नाम से ही गांव के लोग कांप जाते थे. रात ही पेड़ों के बीच ऐसी सरसराहट सुनाई देती थी जैसे कोई अदृश्य चीज जमीन को खुरचती हुई घूम रही हो.हवामें अजीब सी दुर्गंध इस बात का एहसास दिलाती थी कि वहां कुछ ऐसा है जिसे कोई आंख देख नहीं सकती लेकिन वह सबको देखता रहता है. लोग कहते थे कि जंगल में एक ऐसी शक्ति रहती है जो इंसानी आत्मा की भूखी है और वह हर उस रात जाग जाती है जब चांद बादलों में छिप जाता है.गांव के बुजुर्ग ...Read More

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Salmon Demon - 2

गांव में उस रात अजीब सन्नाटा था. हवा बिना वजह ठंडी हो गई थी और घरों के किवाड़ ऐसे रहे थे जैसे किसी अदृश्य हाथ ने उन्हें छुआ हो.उसी शाम गांव के किनारे रहने वाला रघु अपने परिवार के साथ खाना खा रहा था. उसकी पत्नी लाजो बार बार दरवाजे की तरफ देख रही थी. उसे लगता था कि बाहर कोई खड़ा है. पर खुली आंखों से कुछ दिखाई नहीं देता था, सिर्फ अंधेरा. रघु ने उसे समझाया कि यह उसके मन का भ्रम है, लेकिन वह खुद भी एक अनजानी बेचैनी महसूस कर रहा था.रात गहरी होते ही ...Read More

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Salmon Demon - 3

गांव में सुबह की पहली किरण आई तो लोगों ने रघु के घर के बाहर अजीब माहौल देखा. दरवाजा खुला हुआ था और भीतर से ठंडी हवा बाहर आ रही थी. आसपास की मिट्टी राख जैसी काली हो चुकी थी. किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि अंदर जाए.कुछ देर बाद रघु खुद बाहर निकला. उसकी आंखें खाली थीं. चेहरे पर मिट्टी की पतली रेखाएं थीं जो मानो त्वचा के भीतर उतर चुकी हों. वह कुछ भी नहीं बोल रहा था. बस गांव वालों को चुपचाप देखता रहा और फिर धीरे धीरे खेतों की तरफ चल पड़ा. किसी ...Read More

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Salmon Demon - 4

उदावीर पूरी रात जागता रहा. उसने गांव के चौक में एक पुरानी मिट्टी की रेखा खींची और उसके चारों पर दीपक रखे. यह रेखा गांव की रक्षा के लिए थी, लेकिन वह खुद जानता था कि Salmon इतनी आसान सीमाओं में नहीं बंधेगा. रात बढ़ने लगी और हवा में धुंध भरने लगी. गांव वाले अपने घरों में छिपे थे. हर खिड़की बंद थी, फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे कोई भीतर झांक रहा हो. दीवारों पर हल्की खटखटाहट हो रही थी, जैसे बच्चे नाखून घिसकर खेल रहे हों.उदावीर रघु के घर की तरफ बढ़ा. वहां पहुंचते ही जमीन ...Read More