Salmon Demon - 1 in Hindi Horror Stories by Vedant Kana books and stories PDF | Salmon Demon - 1

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Salmon Demon - 1

पुराने समय की बात है जब घने जंगलों के नाम से ही गांव के लोग कांप जाते थे. रात होते ही पेड़ों के बीच ऐसी सरसराहट सुनाई देती थी जैसे कोई अदृश्य चीज जमीन को खुरचती हुई घूम रही हो. 

हवामें अजीब सी दुर्गंध इस बात का एहसास दिलाती थी कि वहां कुछ ऐसा है जिसे कोई आंख देख नहीं सकती लेकिन वह सबको देखता रहता है. लोग कहते थे कि जंगल में एक ऐसी शक्ति रहती है जो इंसानी आत्मा की भूखी है और वह हर उस रात जाग जाती है जब चांद बादलों में छिप जाता है.

गांव के बुजुर्ग Salmon नाम की एक दानवी सत्ता का जिक्र करते थे. उनके शब्दों में वह कोई साधारण प्राणी नहीं था. वह तब पैदा हुआ था जब एक तांत्रिक की अधूरी साधना उलटी पड़ गई थी. कहा जाता था कि वह तांत्रिक मौत के बाद भी शांति नहीं पा सका और उसकी आत्मा भटकते भटकते एक विकृत रूप में बदल गई. उसी भयावह आत्मा को लोग Salmon कहते थे. वह इंसानों के डर पर पलता था और धीरे धीरे उनका शरीर और मन दोनों निगल लेता था.

जंगल के बीचोंबीच एक पुराना खंडहर खड़ा था. उसकी दीवारें काई और मिट्टी से ढकी थीं. अंदर घुसते ही एक अजीब ठंड महसूस होती थी जो हड्डियों में उतर जाती थी. रात होने पर वहां से चीखों की आवाज सुनाई देती है. कभी किसी बूढ़े की भारी आवाज और कभी किसी बच्चे की धीमी सिसकी. लोग कहते थे कि यह सब Salmon की चाल होती है. वह इंसानी आवाजें निकालकर लोगों को अपने पास बुलाता था.

एक शाम कुछ चरवाहे जंगल के किनारे मवेशी ढूंढते हुए काफी अंदर तक चले गए. सूरज ढल चुका था और धुंध फैलने लगी थी. अचानक उन्हें पेड़ों के बीच कुछ हलचल महसूस हुई. किसी के पैरों की आवाज आ रही थी लेकिन जमीन पर कोई कदमों के निशान नहीं बन रहे थे.

चरवाहों ने आवाज लगाई कि कौन है लेकिन जवाब में सिर्फ भारी सांसों की धीमी गूंज सुनाई दी. सामने सूखे पत्तों का ढेर अपने आप हिलने लगा जैसे उसके नीचे कुछ रेंग रहा हो.

उनमें से एक ने कांपते हुए मशाल ऊंची की. लौ अचानक तेज हुई और फिर बुझने लगी. और उसी बुझती रोशनी में उन्हें पहली बार Salmon की झलक मिली.

वह मानव जैसा दिखाई देता था लेकिन उसका चेहरा काला और पिघली मोम की तरह टेढ़ा था. आंखें भीतर धंसी हुई थीं और उनमें लाल चमक थी जैसे उनमें किसी की छटपटाती परछाई कैद हो. मुंह मैसे लाड़ टपक रही थी और आंखों से निरंतर खून बह रहा था।

चरवाहे चिल्लाए लेकिन आवाज गले में ही अटक गई. उनके पैरों के पास जमीन गाढ़ी राख की तरह काली होने लगी और उनमें से एक लड़खड़ाकर गिर पड़ा. उसे लगा जैसे कुछ अदृश्य उंगलियां उसकी गर्दन को पकड़ रही हैं.

चरवाहे किसी तरह खुद को छुड़ाकर भागे. जंगल से बाहर निकलते ही वे बेहोश हो गए. बाद में जब लोग उन्हें उठाकर गांव ले गए तो वे कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे. उनके चेहरे पर वही लाल चमक दिखाई दे रही थी जो उन्होंने जंगल में देखी थी. गांव वाले घबरा गए. किसी को समझ नहीं आया कि उनके साथ क्या हुआ. लेकिन हर कोई जानता था कि वह रात बस शुरुआत थी.

इस घटना के कुछ दिन बाद ही वो चरवाहे बिना किसी कारण मौत के शिकार हो गए। पर उनकी मौत गांव वाले के लिए भय का कारण थी क्योंकि जब वो मरे तब उनकी आँखें सफेद पड़ चुकी थी मानो किसी ने सारा खून चूस लिया हो, ज़बान मुंह से पूरी तरह बाहर लटक रही थी।

गांव के ऊपर एक ऐसा साया मंडराने लगा था जिसका नाम लेने से भी लोग डरते थे. Salmon जाग चुका था और जंगल अब उसकी पनाह नहीं बल्कि उसके आतंक का दरवाजा बन चुका था. गांव में किसी को अंदाजा नहीं था कि आने वाली रातें उन्हें कितनी बड़ी मुसीबत में खींचने वाली हैं.