तुमसे मिलने की छुट्टी

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कॉफी से सुरु हुआ प्यार दिल्ली की शाम हमेशा शोर से भरी होती है हॉर्न ट्रॅफिक और भागती भीड़ पर जिया की शामे कुछ शांत थी वो रोज दप्तर से निकलकर उसी छोटे से कैफे मे आती है जहा कॉफी की खुशबू और सुकून दोनो मिलते थे एक दिन उसने पहिली बार उसे देखा ऑलिव्ह ग्रीन युनिफॉर्म मे खडा एक लंबा सधा हुवा शक्स चेहरे पर सकती लेकिन आखो मे एक अजीब सी नर्मी कॅप्टन आयुष ठाकूर छुट्टी पर आया हुआ एक फौजी जिया का ध्यान उसकी मुस्कान पर ठीक गया |

Full Novel

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तुमसे मिलने की छुट्टी - 1

कॉफी से सुरु हुआ प्यार दिल्ली की शाम हमेशा शोर से भरी होती है हॉर्न ट्रॅफिक और भागती भीड़ जिया की शामे कुछ शांत थी वो रोज दप्तर से निकलकर उसी छोटे से कैफे मे आती है जहा कॉफी की खुशबू और सुकून दोनो मिलते थे एक दिन उसने पहिली बार उसे देखा ऑलिव्ह ग्रीन युनिफॉर्म मे खडा एक लंबा सधा हुवा शक्स चेहरे पर सकती लेकिन आखो मे एक अजीब सी नर्मी कॅप्टन आयुष ठाकूर छुट्टी पर आया हुआ एक फौजी जिया का ध्यान उसकी मुस्कान पर ठीक गया कॉफी का कप हात से फिसलते फिसलते बच्चा थोडा ...Read More

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तुमसे मिलने की छुट्टी - 2

एक वादा हमेशा के लिए कैफेकी उस मुलाकात के बाद जिया और आयुष्य की जिंदगी बदल गई थी अब बीच सिर्फ मेसेज नाही योजनाएं थी शादी के घर की और साथ रहने की जिया के घर वाले पहिले थोड़ा हिचकीचाए फौजी की जिंदगी आसान नही होती माँ ने कहा जिया मुस्कुराई माँ मुझे आसान जिंदगी नही चाहिये आयुष्य दिल्ली आया घर वालो से मिला सबको अपनी सादगी से जीत लिया कुछ ही महीनों मे दोनो की सगाई हो गई सरल सी पर दिल से भरी हुई शादी की तारीख तय थी हुई 15 अगस्त आयुष बोला सोचा जिसके दिन ...Read More

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तुमसे मिलने की छुट्टी - 3

अब हमारा छोटासा जहा ँ सर्दीयो कीएक शांत सुबह थी जिया रसोई मे काफी बना रही थी वही खुशबू कप आदत बन चुका था लेकिन आज घर मे एक नन्ही आवाज घुंझ रही थी एक नन्ही सी किलकारी छोटी सी गुलाबी सी कंबल मे लिफ्टी आर्या जिया आयुष् कि बेटी आयुष् अपनी बाहो मे उठाते हुए कहा अब ये मेरी सबसे प्यारी ड्युटी है जिया मुस्कुराये उठी अब अगर बोर्डर जाओगे तो ध्यान रखना घर मे दो लोग तुम्हारा इंतजार करेंगे समय बीता आयुष् कि पोस्टिंग फिर से बॉर्डर पर हो गई पर अब उसकी हर छुट्टी का मकसद ...Read More

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तुमसे मिलने की छुट्टी - 4

नयी सुबह : हमारा जहाँन फिर से धड़क उठा”सुबह की हल्की सुनहरी रौशनी “हमारा जहाँन” कैफ़े की खिड़कियों पर रही थी।कॉफी मशीन की धीमी खनक, और रसोई से आती ताज़ी ब्रू की खुशबू —मानो घर और कैफ़े, दोनों एक साथ जाग रहे हों।जिया ठाकुर ने सबसे पहले कप उठाया।वो मुस्कराई…पिछली रात उसने सोचा था —प्यार, परिवार, और ये छोटा सा कैफे… यही तो उसका जहाँन है।उधर आयुष ठाकुर नींद से उठते हुए बोले,“मैडम जिया ठाकुर, कॉफी की खुशबू तो जगी है,पर आपकी बेटी अभी भी नींद के हुकूम जारी कर रही है।”दोनों हँस पड़े।कमरे में जाकर आयुष ने धीरे ...Read More