संभोग से समाधि

(2)
  • 3
  • 0
  • 873

तंत्र कहता है — जो ऊर्जा जीवन देती है, वही मुक्ति भी दे सकती है। संभोग कोई पाप नहीं, वह ऊर्जा है — जो अगर अचेतनता में बहे, तो बंधन बनती है; और यदि जागरूकता में रूपांतरित हो, तो समाधि का द्वार खोलती है। यह ग्रंथ न भोग की वकालत करता है, न त्याग की। यह एक तीसरे मार्ग की खोज है — जहाँ सेक्स वासना नहीं, कुंडलिनी है; और जहाँ प्रेम खेल नहीं, ध्यान है। तंत्र का मार्ग है — देखना। ना दबाना, ना दौड़ना — बस साक्षीभाव में रहना। जो ऊर्जा को समझ लेता है, वह न सिर्फ़ संसार को, बल्कि स्वयं को भी पार कर जाता है

Full Novel

1

संभोग से समाधि - 1

प्रस्तावना: हर क्षण एक मोड़ हैहमारा जीवन लगातार चुनावों का सिलसिला है —क्या खाना, किससे प्रेम करना, किससे दूरी कौन सा जीवन मार्ग चुनना —हर क्षण हम क्रॉसरोड्स पर खड़े होते हैं। पर क्या ये चुनाव सच में हमारे अपने हैं? या सिर्फ समाज, धर्म, संस्कृति, भय और अपेक्षाओं से बने ढांचे हैं? जो निर्णय स्वयं से नहीं आता, वह निर्देश है, आज़ादी नहीं। चुनाव कैसे बन जाते हैं राजनीति?राजनीति का अर्थ है — बाहरी सत्ता।जहाँ निर्णय किसी लक्ष्य, प्रभाव, छवि या लाभ के लिए लिए जाते हैं। हम अपने भीतर भी राजनीति पैदा कर लेते हैं: अच्छा ...Read More

2

संभोग से समाधि - 2

संभोग से समाधि — सुख और दुख का मौलिक विज्ञान — 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲प्रस्तावना:"जिसने सेक्स को समझा — उसने जीवन समझा।और जिसने सेक्स से उठना सीखा — उसने समाधि को छू लिया।"यह ग्रंथ न तो भोग का पक्षधर है, न त्याग का।यह तीसरे मार्ग की खोज है —जहाँ संभोग एक द्वार बनता है, समाधि की ओर।अध्याय: विरोध नहीं, समझ सूत्र: सेक्स से भागना, घृणा करना या उसे दबाना — उसी के बंधन को गहरा करना है; समझ ही उसका पार है।विज्ञान और जैविक पक्ष:सेक्स केवल सुख की खोज नहीं, बल्कि सृष्टि की निरंतरता का सबसे मूल सूत्र है।यह डीएनए ...Read More