तुम वो शाम हो

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वह शाम मुंबई का स्टेशन... भीड़ से भरा, आवाज़ों से गूंजता हुआ। लेकिन उस दिन की शाम कुछ अलग थी। बारिश धीमे-धीमे टपक रही थी, जैसे आकाश भी दिल की भाषा में बोल रहा हो। प्राची वही खड़ी थी, बायीं ओर के कोने पर, अपनी स्केचबुक के पन्ने पलटती हुई। वो लोगों की भागती आँखों को देखती थी, चेहरे पढ़ती थी — कभी दुःख, कभी उम्मीद, कभी खालीपन। उसके लिए स्टेशन एक चित्रशाला था। और हर इंसान — एक किरदार। उसके हाथों में पेंसिल थी, और मन में उदासी। वो एक ऐसी कलाकार थी जो अपने रंगों से ज़्यादा अपनी छायाओं पर विश्वास करती थी। उसने सामने देखा — एक लड़का पुरानी किताबों की दुकान से बाहर आया। गले में कैमरा, एक हाथ में किताब, दूसरे हाथ में पुरानी रेनकोट की बाजू। उसकी चाल में घबराहट नहीं थी, बल्कि ध्यान था — जैसे ज़िन्दगी को देखकर समझने का हुनर हो। वो आरव था।

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तुम वो शाम हो - 1

️ एपिसोड 1 – पहली छायावह शाममुंबई का स्टेशन... भीड़ से भरा, आवाज़ों से गूंजता हुआ। लेकिन उस दिन शाम कुछ अलग थी। बारिश धीमे-धीमे टपक रही थी, जैसे आकाश भी दिल की भाषा में बोल रहा हो।प्राची वही खड़ी थी, बायीं ओर के कोने पर, अपनी स्केचबुक के पन्ने पलटती हुई। वो लोगों की भागती आँखों को देखती थी, चेहरे पढ़ती थी — कभी दुःख, कभी उम्मीद, कभी खालीपन।उसके लिए स्टेशन एक चित्रशाला था। और हर इंसान — एक किरदार।उसके हाथों में पेंसिल थी, और मन में उदासी। वो एक ऐसी कलाकार थी जो अपने रंगों से ज़्यादा ...Read More

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तुम वो शाम हो - 2

---️ एपिसोड 2— तकरार की बूँदेंथीम: जब दिल बोलना चाहता है, लेकिन शब्द रास्ता खो देते हैं🪷 भाग : और उलझनसिया की मौजूदगी ने प्राची के मन में जहर घोल दिया है। वो बेंच अब वैसी नहीं रही जहाँ आरव और वो चुपचाप मुस्कुराते थे। अब वहाँ तकरार की छाया है।आरव उससे मिलना चाहता है, सफाई देना चाहता है… पर क्या शब्द सच्चाई को बदल सकते हैं?इस भाग में दोनों के बीच पहली असल टकराहट होती है — बिना चीख के, बस खामोशी की चोट से। भाग : कॉफी शॉप की साजिशएक पुरानी कॉफी शॉप में मिलते हैं आरव ...Read More

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तुम वो शाम हो - 3

---️ भाग : वो शाम फिर आईमुंबई की बारिश फिर लौट आई थी — वही पुरानी स्टेशन, वही बेंच, इस बार प्राची वहाँ नहीं थी।आरव अकेला बैठा था, हाथ में एक पुरानी छतरी और दिल में एक नई उम्मीद।उसने अपनी डायरी खोली और लिखा:> *“बारिशें लौटती हैं…> पर क्या वो लोग भी लौटते हैं जिनसे दिल भीगता है?”*तभी एक आवाज़ आई —“छतरी में जगह है?”वो प्राची थी।--- भाग : छतरी के नीचेछतरी छोटी थी — लेकिन दोनों उसमें समा गए।बारिश तेज़ थी, लेकिन उनके बीच की खामोशी और भी तेज़।> “तुमने मुझे बुलाया?” प्राची ने पूछा।> “नहीं… लेकिन उम्मीद ...Read More

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तुम वो शाम हो - 4

---️ भाग 1: स्टेशन की हलचलमुंबई का स्टेशन आज कुछ ज़्यादा ही भीगा हुआ था।प्राची अपनी स्केचबुक लेकर आई — एक नई दीवार पर कुछ नया रचने के लिए।वो सोच रही थी — क्या आरव आएगा? या वो खत जो मैंने उसे दिया था, अब तक अनपढ़ा ही है?तभी एक अफरा-तफरी मचती है — एक लड़का गिर पड़ा है, लोग इकट्ठा हो रहे हैं।वो लड़का आरव है।--- भाग 2: अस्पताल की खामोशीआरव को अस्पताल ले जाया जाता है — सिर पर चोट, लेकिन होश में है।प्राची वहीं है — उसकी आँखों में डर है, लेकिन हाथों में हिम्मत।वो आरव ...Read More

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तुम वो शाम हो - 5

--- भाग 1: वो शाम फिर आईअयान और मिहिका एक साल बाद उसी जगह पहुँचे — जहाँ उनकी कहानी हुई थी।- वही झील का किनारा- वही पुराना बेंच- लेकिन अब दोनों के बीच एक लंबी खामोशी थीमिहिका कहती है:> “कभी-कभी लगता है… हम उस शाम में ही रह गए हैं।”अयान जवाब देता है:> “क्योंकि वो शाम अधूरी थी… और हम उसे पूरा करने लौटे हैं।”--- भाग 2: पुरानी तस्वीरेंमिहिका अपने फोन में पुरानी तस्वीरें देखती है — उनमें अयान की मुस्कान है, और उसकी आँखों में सवाल।वो कहती है:> “तुम्हारी आँखें तब भी कुछ कहती थीं… और आज भी।”अयान ...Read More

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तुम वो शाम हो - 6

--- भाग 1: एक आम सुबह, एक अनजाना मेलमिहिका को एक मेल आता है — एक प्रतिष्ठित आर्ट स्कूल न्यूयॉर्क में।उसे स्कॉलरशिप मिली है, एक साल के लिए।वो चौंक जाती है —> “मैंने अप्लाई तो किया था… लेकिन सोचा नहीं था कि सच हो जाएगा।”अयान मुस्कराता है —> “तो अब क्या करोगी?”मिहिका चुप हो जाती है —> “तुमसे दूर रह पाऊँगी?”--- भाग 2: अयान का ऑफरअयान को भी एक ऑफर मिला है — एक थिएटर कंपनी से, मुंबई में।वो कहता है:> “शायद ज़िंदगी हमें दो रास्ते दे रही है… लेकिन क्या हम एक ही मंज़िल चाहते हैं?”मिहिका जवाब देती ...Read More

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तुम वो शाम हो - 7

--- भाग 1: एक अनजाना मोड़मिहिका पेरिस में अपनी प्रदर्शनी के आखिरी दिन एक गैलरी से बाहर निकल रही पर हल्की बारिश थी — और सामने एक कैफ़े के शीशे में उसे एक जाना-पहचाना चेहरा दिखा।वो पल थम गया।वो चेहरा… अयान का था।वो सोचती है — क्या ये सपना है? या फिर वो शाम फिर लौट आई है?---️ भाग 2: एक साल बादएक साल बीत चुका था।अयान मुंबई में थिएटर कर रहा था, मिहिका पेरिस में स्केच बना रही थी।उनके बीच सिर्फ खत थे — और वो भी अब कम हो गए थे।लेकिन उस दिन, उस शहर में, उस ...Read More