एक कल्पनाशील यात्रा जो एक लड़की के भीतर से शुरू होकर,, प्रकृति की गहराइयों तक जाती है... एक रहस्यमी द्वीप, एक अनदेखी सच्चाई,,। पूर्वी समुद्र तट पर स्थित और बंगाल की खाड़ी से दूर। यह समुद्र तट हर समय बदलते मौसम के लिए जाना जाता है। कभी लहरें किनारों से टकराती हैं, फिर लौट जाती हैं... जैसे किसी अनकही बात को कह कर वापस जा रही हों। इस समुद्र की खासियत है कि जो भी इसके पास कुछ पल बिताता है, वह इसका मुरीद बन जाता है। समुंद्र तट से थोड़ी सी दूरी पर एक छोटा और बेहद सुन्दर गाँव है, इस गांव की सुन्दरता उसके शांत वातावरण से और भी बढ़ जाती है। इस गांव के लोग मिलजुल कर हंसी खुशी से रहते हैं।
Full Novel
समुंद्र के उस पार - 1
एक कल्पनाशील यात्रा जो एक लड़की के भीतर से शुरू होकर,, प्रकृति की गहराइयों तक जाती है... एक रहस्यमी द्वीप, एक अनदेखी सच्चाई,,।पूर्वी समुद्र तट पर स्थित और बंगाल की खाड़ी से दूर। यह समुद्र तट हर समय बदलते मौसम के लिए जाना जाता है। कभी लहरें किनारों से टकराती हैं, फिर लौट जाती हैं... जैसे किसी अनकही बात को कह कर वापस जा रही हों। इस समुद्र की खासियत है कि जो ...Read More
समुंद्र के उस पार - 2
"मैं उन्हें जानता हूं... और ये भी जानता हूं कि वो अब कहां रहते हैं।"ये सुनकर तृषा की आंखों चमक दौड़ गई - उसने रवि से पूछा क्या तुम मुझे वहां ले चलोगे।'हां' रवि ने कहा चल सकते हैं...तृषा ने रवि से कहा "तो फिर? हम कब चलें?" रवि ने कहा, "जगह शहर से बहुत दूर है। हम कल सुबह निकलेंगे।" तृषा थोड़ी मायूस हुई, "आज नहीं जा सकते?" "रात में वहां जाना ठीक नहीं होगा। भरोसा रखो, कल सुबह चलेंगे।" तृषा ने हामी भर दी।दिन का बाकी वक्त उसने पढ़ाई में बिताया, पर दिल तो उसी एक पल ...Read More
समुंद्र के उस पार - 3
मैंने देखा, सब कुछ तहस-नहस हो चुका था। मेरी टीम के बाक़ी सदस्यों का कोई पता नहीं था। मैंने बहुत ढूँढा लेकिन वे नहीं मिले।मुझे तो ये भी नहीं पता था कि अब मैं यहाँ से वापस कैसे जाऊँगा।मेरी सारी उम्मीदें टूट चुकी थीं। कुछ हफ्तों तक बस मैं यही सोचता रहा कि मेरी टीम के लोग कहाँ गए...क्या वे ज़िंदा भी हैं या नहीं? अगर हैं, तो कहाँ होंगे?और जब मैं उस टापू पर पहुँच ही गया था, तो ज़िंदा रहने के लिए कुछ तो करना था। इसलिए मैं निकल पड़ा अपने लिए कुछ खाने की तलाश में। ...Read More
समुंद्र के उस पार - 4
मुझे जानना है आगे क्या हुआ..." इस पर रवि मुस्कराते हुए कहता है, "तृषा, थोड़ा सबर रखो... परोफेसर थक होंगे। तृषा थोड़ी जिद्दी थी वो एक छोटी बच्ची के जैसी लग रही थी।रवि ने कहा बाकी की कहानी कल सुनेंगे।"तृषा कुछ कहने ही वाली होती है, लेकिन प्रोफेसर नैनी स्वयं हस्तक्षेप करते हैं, मैं थोड़ा थक गया हूँ और अब मुझे आराम करना चाहिए, पर"हाँ, मैं कल सब बताऊँगा। कहानी वहीं से शुरू होगी जहाँ आज रोकी है।"तृषा और रवि फिर होस्टल लौटने के लिए अध्ययन कक्ष से बाहर निकलते हैं। जैसे ही वे कुछ दूर निकलते हैं, तृषा ...Read More
समुंद्र के उस पार - 5
सब लोग एक जैसे नहीं होते... उन्होंने वादा तो कर दिया था, लेकिन अब उनके दिलों में एक नया अंकुरित हो चुका था- लालच का।वे समझ चुके थे कि इस टापू पर मौजूद दुर्लभ खनिज, औषधीय पौधे और वो चमकते हुए फूल - किसी और जगह नहीं मिल सकते।जिसके लिए उन्होंने बहुत सी यात्राएं भी की थी, लेकिन उन्हें कहीं भी ऐसी अनमोल वस्तुएं नहीं मिली।प्रोफेसर नैनी की चेतावनियाँ उनके लिए सिर्फ एक कहानी बनकर रह गई थीं। मुखिया ने, जो अभी भी इंसानियत में विश्वास रखते थे, मेरी बातों पर भरोसा करते हुए उन सबको टापू से सुरक्षित ...Read More
समुंद्र के उस पार - 6
रवि मुस्कराया,“ठीक है, जैसा तुम चाहो… मैं तुम्हारे साथ चलूंगा।”रवि और तृषा दोनों दादी से मिलने गांव की ओर पड़े।घंटों की यात्र के बाद तृषा अपने गांव पहुंचती है। तृषा ने घर पहुंचने पर जब दरवाजे को खटखटाया,जैसे ही दादी ने दरवाज़ा खोला, तृषा को सामने देखकर उनकी आंखें खुशी से भर आईं।“अरे मेरी बच्ची!” दादी ने उसे गले लगा लिया।वे दोनों गले लग कर बहुत खुश हुई।बहुत दिनों बाद दादी से मिलने की खुशी में तृषा रवि का परिचय दादी से करना भूल ही गई थी।फिर दादी तृषा से पूछती है... ये कौन है, बेटा,तृषा 'ओहो'माफ करना रवि ...Read More
समुंद्र के उस पार - 7
तृषा ने हामी भरी और रवि से कहा चलो थोड़ा ओर आगे बढ़ते हैं, शायद आगे कोई सुरक्षित स्थान जाए।सूरज भी डूबने को था।तृषा और रवि आगे बढ़ रहे थे तभी उन्हें पानी के बहने की आवाज सुनाई दी ।रवि ने कहा लगता है वहां कोई नदी है।तृषा शायद,चलो देखते हैं, वे दोनों उस नदी के पास पहुंचे। नदी के आस पास ठहर ने के लिए बहुत जगह थी। वो जगह सुरक्षित भी लग रही थी।रवि और तृषा ने वही पर अपना तम्बू बनाने का विचार किया।धीरे धीरे अंधेरा गहरहराता जा रहा था।तृषा और रवि अपने अपने तम्बू में ...Read More