क्या तुम मुझे छोड़ दोगे

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हर्ष एक संपन्न परिवार में पैदा हुआ बहुत ही सुंदर बच्चा था। बचपन से ही जो भी उसे देखता वह ये कहना नहीं भूलता कि कितना सुंदर बच्चा है। घर में, परिवार में, स्कूल में, हर जगह अपनी इस तरह की तारीफ सुनकर हर्ष बड़ा हो रहा था। इस तारीफ ने उसके अंदर घमंड का बीजारोपण कर दिया था। उसकी मम्मी चेतना और पापा विमल दोनों ही देखने में बहुत अच्छे थे। वे दोनों हमेशा अपनी सेहत का भी ध्यान रखते थे और वे स्वभाव से बहुत विनम्र थे। विमल को हमेशा इस बात का डर लगा रहता था कि इतनी ज़्यादा तारीफ कहीं हर्ष को अभिमानी ना बना दे।

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क्या तुम मुझे छोड़ दोगे - भाग - 1

हर्ष एक संपन्न परिवार में पैदा हुआ बहुत ही सुंदर बच्चा था। बचपन से ही जो भी उसे देखता ये कहना नहीं भूलता कि कितना सुंदर बच्चा है। घर में, परिवार में, स्कूल में, हर जगह अपनी इस तरह की तारीफ सुनकर हर्ष बड़ा हो रहा था। इस तारीफ ने उसके अंदर घमंड का बीजारोपण कर दिया था। उसकी मम्मी चेतना और पापा विमल दोनों ही देखने में बहुत अच्छे थे। वे दोनों हमेशा अपनी सेहत का भी ध्यान रखते थे और वे स्वभाव से बहुत विनम्र थे। विमल को हमेशा इस बात का डर लगा रहता था कि ...Read More

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क्या तुम मुझे छोड़ दोगे - भाग - 2

विमल की बात को मान कर चेतना ने उसी दिन शाम को हर्ष से पूछा, "हर्ष अब हमें तेरी करनी है। यदि तूने कोई लड़की पसंद कर रखी हो तो बता दे, हमें लड़की ढूँढने में जबरदस्ती की मेहनत नहीं करनी पड़े।" हर्ष ने कहा, "अरे नहीं मम्मी, मैंने किसी लड़की को पसंद नहीं किया है। आप अपनी पसंद की लड़की ढूँढ लीजिए।" "क्यों क्या तू मेरी पसंद की लड़की से चुपचाप शादी कर लेगा?" "नहीं-नहीं ऐसा मैंने कब कहा? मैं भी देखूँगा, लड़की हम तीनों को पसंद आनी चाहिए।" हर्ष की बात सुनकर विमल ने चेतना की तरफ़ ...Read More

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क्या तुम मुझे छोड़ दोगे - भाग - 3

गरिमा को देखते ही हर्ष का चेहरा खिल गया। उसकी नज़र वहाँ से हटने को तैयार ही नहीं हो थी। वह एक टक उसे देखे ही जा रहा था। वे सब बैठकर बातें कर रहे थे। आज ऐसा लग रहा था मानो हर्ष के परिवार का इंतज़ार ख़त्म होने वाला है। इसी बीच गरिमा और हर्ष के बीच भी बातचीत का सिलसिला शुरू हो चुका था। किंतु सबके सामने गरिमा असहज महसूस कर रही थी। इस बात को हर्ष समझ रहा था। वे दोनों एक दूसरे से अकेले में और अच्छे से बात करना चाहते थे। तब हर्ष ने ...Read More

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क्या तुम मुझे छोड़ दोगे - भाग - 4

गरिमा को इस तरह घर के एकदम सादे कपड़ों में देखकर वसुधा और बाक़ी सब लोग सिवाय हर्ष के हो गए। इस समय गरिमा के चेहरे पर ना कोई मेकअप था, ना ही कोई सुंदर वेशभूषा। सादे कपड़ों में भी वह उतनी ही सुंदर लग रही थी। हर्ष बिना मेकअप में गरिमा को देखता ही रह गया। वह अपने मुंह से कुछ भी ना कह पाया। लेकिन उसके चेहरे के हाव-भाव, उसकी आंखें यह बता रही थीं कि वह बहुत खुश है। तभी गरिमा ने उसकी तरफ़ देखा तो हर्ष के चेहरे पर वह भाव दिखाई देने लगे। मानो ...Read More

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क्या तुम मुझे छोड़ दोगे - भाग - 5

गरिमा की ससुराल में गृह प्रवेश की तैयारी से पूरा वातावरण मधुर संगीत से गुंजायमान हो रहा था। फूलों फैली महक वातावरण को ख़ुशबू दार बना रही थी। इस विवाह से हर्ष के साथ ही साथ उसके माता-पिता भी बहुत खुश थे। लम्बे समय से चले आ रहे लड़की ढूँढने के इस कार्य की अब समाप्ति हो चुकी थी। हर्ष और गरिमा दोनों के तन-मन में आज मिलन की सुहावनी बेला के इंतज़ार ने हल चल मचा रखी थी। पूरा दिन तो मेहमानों के साथ मस्ती और शोर शराबे में बीत रहा था। धीरे-धीरे उनका वह इंतज़ार भी पूरा ...Read More

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क्या तुम मुझे छोड़ दोगे - भाग - 6

गरिमा की बात सुनकर हर्ष ने तुरंत ही पूछा, "तो क्या गरिमा? क्या तुम शादी से इंकार कर देतीं?" ने कहा, "हाँ हर्ष तब तो शायद मैं यह विवाह ही नहीं करती क्योंकि मैं जानती हूँ कि जिस सुंदरता पर मोहित होकर तुम मुझे ब्याह कर ले आए हो वह ज़्यादा समय तक साथ नहीं निभाती। एक न एक दिन वह हमसे दूर चली ही जाती है। मुझे डर लग रहा है हर्ष। मेरा विश्वास जो मैंने फेरे लेते समय, मांग में सिंदूर भरते समय, तुम पर किया था वह टूट रहा है।" "अरे गरिमा तुम कुछ ज़्यादा ही ...Read More

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क्या तुम मुझे छोड़ दोगे - भाग - 7

उसके बाद तीन महीने के भीतर ही गरिमा प्रेगनेंट हो गई। उसके प्रेगनेंट होने से उसके सास-ससुर, माता-पिता सभी खुश थे। घर में नन्हे मेहमान के आने की ख़ुशी अलग ही होती है। गरिमा भी बहुत खुश थी लेकिन हर्ष वह तनाव में था। गरिमा डिलीवरी के बाद कैसी दिखेगी? यह प्रश्न उसे अंदर ही अंदर खाए जा रहा था। उसके बाद भी वह गरिमा को खुश रखने की पूरी कोशिश कर रहा था। धीरे-धीरे गरिमा का पेट दिखाई देने लगा। इस समय उसके खाने-पीने का उसकी सासू माँ बहुत ज़्यादा ख़्याल रख रही थी। वह हमेशा गरिमा को ...Read More

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क्या तुम मुझे छोड़ दोगे - भाग - 9

तभी विमल के मन में जो बात वर्षों से थी और वह आज तक कभी भी उसे कह नहीं थे, आज उनके मुंह से निकल ही गई। उन्होंने कहा, "हर्ष तुम बहुत सुंदर हो यह भगवान का तुम्हें वरदान मिला है पर तुमने उस वरदान पर हमेशा घमंड किया है। जबकि उसमें तुम्हारा अपना तो कुछ है ही नहीं। तुम्हारा अपना क्या है उसमें बताओ? तुमने ना जाने कितनी लड़कियों को रिजेक्ट किया है। अच्छी सुंदर लड़कियों तक को मना किया है। कितना दुख हुआ होगा उनको कभी सोचा है? तुम्हारा अपना जो है, वह है घमंड और घमंड ...Read More

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क्या तुम मुझे छोड़ दोगे - भाग - 8

गरिमा यह सब कुछ सहन कर ही रही थी क्योंकि हर्ष का जिस तरह का स्वभाव था उसके कारण सब होना कोई बड़ी बात नहीं थी। इस बात को गरिमा भी भली भांति समझ रही थी। उसने सब कुछ समय के ऊपर छोड़ दिया था। वह जानती थी वक़्त सब कुछ ठीक कर देगा। परंतु ठीक कर देगा वाला उसका इंतज़ार बहुत लंबा हो चुका था। उसका इंतज़ार अब कई बार उसे रुलाने भी लगा था। हर्ष की बेरुखी अब उससे सहन नहीं हो रही थी। एक दिन तो गरिमा को बहुत गुस्सा आया। उसने सोचा यूँ चुपचाप रहने ...Read More

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क्या तुम मुझे छोड़ दोगे - भाग - 10 (अंतिम भाग)

हर्ष की बीमारी में गरिमा उसकी बहुत सेवा कर रही थी, बहुत ध्यान रख रही थी। वह उसके घाव मरहम इस तरह लगाती मानो प्यार से उसे सहला रही हो। तब हर्ष को वह सब याद आता जब गरिमा का शरीर बदल जाने के बाद उसका व्यवहार गरिमा के प्रति बदल गया था। हर्ष को अपने व्यवहार पर अब बहुत दुख होता। लेकिन बीता समय और मुंह से निकले शब्द कभी लौट नहीं पाते। जो बीत गया वह समझो कि यादों के पटल पर लिख दिया जाता है। उसकी यादें भले ही थोड़ी फीकी पड़ जाएँ परंतु उसकी आकृति, ...Read More