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लीजिये पेश है इस शृंखला की दसवी एवं अंतिम कहानी जिसका शीर्षक है कंचन एक दिन कंचन...
पहलाः प्रेम मातृभूमि सेअध्याय 1: विदेश का सपनारवि एक 16 साल का लड़का था, जिसे बच...
माँ से मायका .... पिता से पीहर, और भी न जाने कितने ही नाम हैं – बाबुल के आँगन क...
लॉकडाउन में मोहब्बत - भाग 2: दिलों का मिलनलॉकडाउन के बीच जब दुनिया ठहरी हुई थी,...
कुछ तो ऐसा नशा था उन भूरी आंखों में....राजबीर के कदम उसके ही तरफ बढ़ ते चले जाते...
आलू के परोंठे मेरे हाथ आटे में सने थे, डोर बैल बार बार बज रही थी । मैने फंकी (हा...
86 समुद्र की साक्ष्य में गुल एक बड़ी...
15 गुडबाय अश्विन की गाड़ी की स्पीड करण के गोदाम की तरफ बढ़ती जा रही है...
एपिसोड 1: अजनबी रास्तों के हमसफ़रशाम ढल चुकी थी। सड़क किनारे लगी स्ट्रीट लाइट्स...
तुझे देखूं या फिर ख़ुदा को देखूं,तू नहीं तो कोई नहीं।हमसे दूर जाने की सोची थी,तु...
गाँव की सड़कों पर धूल उड़ रही थी, और सूरज की गर्मी पूरे गाँव पर अपने कड़े हाथों से शासन कर रही थी। हिम्मतगढ़, एक छोटा सा गाँव, जहाँ खेतों की हरियाली और घरों की छतों पर बिखरी मिट्टी...
नरेश से आकर एक युवती टकरायी तो उसके हाथ से बेग गिर गया।नरेश बेग उठाने को झुका तो वह युवती भी झुकते हुए बोली,"सॉरी।" "नो मेंशन।आल राइट वह युवती चली गयी लेकिन उसकी मोहि...
हिंदी में पहली बार एक धारावाहिक लिख रहा हूं। शायद पसंद आयेगी। धारावाहिक के मुख्य किरदार शुभम है जो एक डॉक्टर है। डॉक्टर शुभम के जीवन की अनूठी कहानी। प्यार एक अनुभव है, यह द...
एक स्त्री अपने सुहाग का जोड़ा पहने अपने बंद कमरे में मध्यम सी रौशनी में खुद को आईने में देख कर आँसू बाह रही है. बार-बार उसका हाथ सिंदूर और मंगल सूत्र की और बढ़ता है लेकिन उसमें इतनी...
शादी की रौनक खत्म हो चुकी है। दिनभर की भागदौड़ और रस्मों के बाद घर के सभी लोग थके हुए हैं। हवेली का आंगन अब शांत है, लेकिन दुल्हन का कमरा खास तैयारी से सजा हुआ है। कमरे के अंदर,...
कभी कभी इन्सान अपने जीवन से विरक्त होकर इस सांसारिक जीवन से सन्यास लेकर सन्यासी बन जाता है, लेकिन क्या वो सच में इस संसार के चक्रव्यूह से निकल पाता है,शायद नहीं! क्योंकि सांसारिक ज...
सरकारी सेवा से मुक्त होने में बस, 2 महीने और थे. भविष्य की चिंता अभी से खाए जा रही थी. कैसे गुजारा होगा थोड़ी सी पेंशन में. सेवा से तो मुक्त हो गए परंतु कोई संसार से तो मुक्त नहीं...
अजी सुनते हो? हां बोलो रितिका की अम्मा तुम तो मेरी बातें सुनते नहीं हो। सुना अनसुना कर देते हो। हां बोलो, क्या कहने वाली हो। हमारी रितिका बड़ी हो गई है। हां, मुझे म...
सीट पर बैठते ही दीपेन की नजर खिड़की के पास बैठी युवती पर पड़ी थी।उसे वह पहली बार देख रहा था।खिड़की के पास वह गुमसुम ,खामोश और चुपचाप बैठी थी।दीपेन ने उसे ध्यान से देखा था। रूखे उलझे...
एक औरत से उसे ऐसी उम्मीद नही थी।वह यह सोचकर आया था कि उसकी नीच और घिनोनी हरकत पर उसके साथी उसे डांटेंगे, जलील करेंगे, भला बुरा कहेंगे। लेकि न जैसा वह सोचकर आया था वैसा नही हुआ था।ब...
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