बजरंग बत्तीसी के रचनाकार हैं महंत जानकी दास जी । “वह काव्य शक्ति में भी सिद्ध थे। उनकी अन्य काव्य कृतियां हैं जैसे राम रसायन, काव्य सुधाकर,ऋतु तरंग,विरह दिवाकर, रस कौमुदी, सुमति पच्चीसी, सुयश कदम और बजरंग बत्तीसी आदि । यह रसिक बिहारी तथा रसिकेश उपनाम से काव्य रचना करते थे।“( प्रस्तावना प्रश्ठ एक) बजरंग बत्तीसी में अधिकतर कवित्त छंदों का प्रयोग है। एक दो स्थानों पर सिंहावलोकन छंद भी आए हैं। सिंहालोकन छंद का उदाहरण देखिए - गारि दे गुरुर नूर झारि दे जु गर्विन को सहित सहाय रिपु मंडली उजारि दे ।
बजरंग बत्तीसी – समीक्षा व छंद - 1
बजरंग बत्तीसी के रचनाकार हैं महंत जानकी दास जी । “वह काव्य शक्ति में भी सिद्ध थे। उनकी अन्य कृतियां हैं जैसे राम रसायन, काव्य सुधाकर,ऋतु तरंग,विरह दिवाकर, रस कौमुदी, सुमति पच्चीसी, सुयश कदम और बजरंग बत्तीसी आदि । यह रसिक बिहारी तथा रसिकेश उपनाम से काव्य रचना करते थे।“( प्रस्तावना प्रश्ठ एक) बजरंग बत्तीसी में अधिकतर कवित्त छंदों का प्रयोग है। एक दो स्थानों पर सिंहावलोकन छंद भी आए हैं। सिंहालोकन छंद का उदाहरण देखिए - गारि दे गुरुर नूर झारि दे जु गर्विन को सहित सहाय रिपु मंडली उजारि दे । जारि दे सुधाम धाम द्रोहिन को ...Read More
बजरंग बत्तीसी – समीक्षा व छंद - 2
बजरंग बत्तीसी – समीक्षा व छंद 2 बजरंग बत्तीसी के रचनाकार हैं महंत जानकी दास जी । “वह काव्य में भी सिद्ध थे। उनकी अन्य काव्य कृतियां हैं जैसे राम रसायन, काव्य सुधाकर,ऋतु तरंग,विरह दिवाकर, रस कौमुदी, सुमति पच्चीसी, सुयश कदम और बजरंग बत्तीसी आदि । यह रसिक बिहारी तथा रसिकेश उपनाम से काव्य रचना करते थे।“( प्रस्तावना प्रश्ठ एक) बजरंग बत्तीसी में अधिकतर कवित्त छंदों का प्रयोग है। एक दो स्थानों पर सिंहावलोकन छंद भी आए हैं। सिंहालोकन छंद का उदाहरण देखिए - गारि दे गुरुर नूर झारि दे जु गर्विन को सहित सहाय रिपु मंडली उजारि दे ...Read More