राजा महेन्द्र प्रताप सिंह - एक गुमनाम सम्राट

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परिचय:- भारत के स्वाधीनता संग्राम में अनेकों महापुरुषों ने अपने प्राणों की आहुति दी, संघर्ष किया और इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हुए। लेकिन कुछ ऐसे वीर भी थे, जिन्होंने अपना जीवन मातृभूमि के लिए समर्पित कर दिया, परंतु उनके योगदान को वह स्थान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे। ऐसे ही एक वीर स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी और समाज सुधारक थे राजा महेन्द्र प्रताप सिंह। वे न केवल ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़े, बल्कि भारत के बाहर भी क्रांति की चिंगारी सुलगाई। वे एक योद्धा, एक पत्रकार, एक राजनेता और एक दूरदर्शी समाज सुधारक थे। उनका जीवन केवल तलवार और बंदूक तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से भी ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी। इस उपन्यास में हम उनके जीवन के अनछुए पहलुओं को जानेंगे—एक ऐसे शख्स की कहानी, जिसने अपना सब कुछ छोड़ दिया, ताकि देश स्वतंत्र हो सके।

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राजा महेन्द्र प्रताप सिंह: एक गुमनाम सम्राट - 1

राजा महेन्द्र प्रताप सिंह: एक गुमनाम सम्राट(भाग 1: क्रांति की आहट) परिचय:-भारत के स्वाधीनता संग्राम में अनेकों महापुरुषों ने प्राणों की आहुति दी, संघर्ष किया और इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हुए। लेकिन कुछ ऐसे वीर भी थे, जिन्होंने अपना जीवन मातृभूमि के लिए समर्पित कर दिया, परंतु उनके योगदान को वह स्थान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे। ऐसे ही एक वीर स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी और समाज सुधारक थे राजा महेन्द्र प्रताप सिंह। वे न केवल ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़े, बल्कि भारत के बाहर भी क्रांति की चिंगारी सुलगाई। वे एक योद्धा, एक पत्रकार, एक राजनेता ...Read More

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राजा महेन्द्र प्रताप सिंह: एक गुमनाम सम्राट - 2

राजा महेन्द्र प्रताप सिंह – एक गुमनाम सम्राट(भाग 2: निर्वासन में क्रांति) पिछले भाग का सारांश...भाग 1 में हमने कि राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने अपनी विलासिता और राजसी जीवन को त्यागकर भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने का निश्चय किया। उन्होंनेप्रेम महाविद्यालयकी स्थापना की, क्रांतिकारियों से जुड़े, और फिर अंग्रेजों की साजिशों से बचने के लिए भारत से बाहर निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आजादी की लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया। अब हम देखेंगे कि कैसे उन्होंनेविदेशों में भारत की पहली निर्वासित सरकार स्थापित कीऔर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ एक नई रणनीति तैयार की। अध्याय 4 – निर्वासन ...Read More