"इस लड़की ने हिन्दुस्तान आना कब है?" कुलवन्त ने अपने हाथ में पकड़ी हुई उस रंगीन तस्वीर को देखते हुए पूछा।तस्वीर में कैमरे की ओर देखकर मुरकराती हुई लड़की तो हिन्दुस्तानी थी किन्त पृष्ठ भूमि विदेशी।"आज रात..... या यूं समझो कि कल सुबह के प्लेन से आ रही है।" सुजानसिंह ने कहा।"अकेली या कोई और भी साथ है?"एक नौकरानी साथ आ रही है।"कोई मर्द तो साथ नहीं है?"नही।"कमाल की हिम्मती लड़की है।" कुलवन्त ने फिर तस्वीर की ओर देखते हुए प्रशंसात्मक स्वर में कहा-" इतनी दूर अमरीका से अकेली आ रही है? एक हमारे घर की औरतें हैं,
जुर्म की दास्ता - भाग 1
"इस लड़की ने हिन्दुस्तान आना कब है?" कुलवन्त ने अपने हाथ में पकड़ी हुई उस रंगीन तस्वीर को देखते पूछा।तस्वीर में कैमरे की ओर देखकर मुरकराती हुई लड़की तो हिन्दुस्तानी थी किन्त पृष्ठ भूमि विदेशी।"आज रात..... या यूं समझो कि कल सुबह के प्लेन से आ रही है।" सुजानसिंह ने कहा।"अकेली या कोई और भी साथ है?""एक नौकरानी साथ आ रही है।""कोई मर्द तो साथ नहीं है?""नही।""कमाल की हिम्मती लड़की है।" कुलवन्त ने फिर तस्वीर की ओर देखते हुए प्रशंसात्मक स्वर में कहा-" इतनी दूर अमरीका से अकेली आ रही है? एक हमारे घर की औरतें हैं, बिना मर्द ...Read More
जुर्म की दास्ता - भाग 2
"मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि शेफाली इस तरह अचानक ही अमरीका से लौट आएगी। सोचा था कि उसके में दो एक साल तो लगेंगे ही तब तक मैं सब इन्तजाम कर लूंगा।""शादी कर ली है उसने ?""अभी नहीं।""फिर तो अभी एकदम इन्तजाम तुम्हारे हाथ से निकलने वाला नही।""लेकिन तुम यह क्यों भूलते हो कि जायदाद की देखभालकरने का असली अधिकार मेरे पिताजी को था मुझे नहीं।"“खैर इस मामले को कानूनी बहम में उलझाने का कोई फायदा नहीं है। मोटी बात यह है कि पचास लाख का घपला किया है तुमने । अगर लौटने पर शेफाली को उसका पता ...Read More
जुर्म की दास्ता - भाग 3
एयरपोर्ट के बाहरी प्रांगण मे खड़े जयदीप की चौकन्नी निगाहें बाहर आने वाले यात्रियों को ध्यानपूर्वक देख रही थीं। ही लड़की का कुछ परिचित-सा चेहरा उसे कस्टम काउण्टर पर दिखाई दिया वैसे ही वह और भी अधिक सजग हो गया।शायद यही है शेफाली सोचा उसनेफिर भी यह जानने के लिए कि उसका अनुमान ठीक है या नहीं उसने बड़ी सावधानी के साथ कोट की भीतरी जेब में रखा रंगीन फोटो निकालकर देखा। फोटो से चेहरा मिलता था।तो यही है शेफाली-उसने फोटो वापिस जेब में रखते हुए मन ही मन अपने आप से कहा। पहचानने के बावजूद भीउसने उसकी ओर ...Read More
जुर्म की दास्ता - भाग 4
"तुम सुजान को पूरी तरह से जानते नहीं।" उमाशंकर ने एक दी निःश्वास के साथ कहा-"एक नम्बर का हरामी फिर अपनी बात को पुलिस के सामने साबित करने के लिए कोई सबूत भी तो नहीं है। रहमत मियां का हवाला भी नहीं देसकता मैं। ""लेकिन इस अपहरण को रोकने के लिए पुलिस को खबर करने के अलावा और कोई चारा भी तो नहीं है। सुजान और उसके दोस्त की पुलिस में बहुत ज्यादा जानकारी हो सकती है। लेकिन कोई सारा पुलिस डिपार्टमेंट तो उनका खरीदा हुआ नहीं हो सकता। मेरी मानिए और पुलिस में खबरकर दीजिए"मेरा ख्याल कुछ और ...Read More
जुर्म की दास्ता - भाग 5
जयदीप ने जैसे ही कार को मुख्य सड़क छोड़कर एक अन्य सड़क की ओर मुड़ते देखा वैसे ही उस बात का यकीन आ गया कि सुजान का खेल शुरू हो गया है।अभी तक तो वह मुख्य सड़क का जो भी थोड़ा बहुत ट्रैफिक था उसकी आड़ में अपने को रखे हुए था। किन्तु ईस दूसरी सड़क पर अगर टैक्सी ड्राइवर को अपने पीछे मोटर साइकिल की रोशनी नजर आई तो उसे तुरन्त अपने पीछा किए जाने का शक हो जाएगा।इस बात में भी जयदीप को कोई संदेह नहीं रहा था कि टैक्सी ड्राइवर भी सुजान से मिला हुआ है।लिहाजा ...Read More