पहेली मुलाकात अनजानी सी लगती,
तेरी मेरी कहानी ऐसे कैसे चलती?
दिल की धड़कनों में छिपी एक लहर,
बिन कहे, बिन जानते, बढ़ती फसल की तरह।
आंखों की गहराई में बसी एक बात,
जज़्बातों का जाल, मन में है सौगात।
मौन रहते हम दोनों,पर पलकें बयां करतीं,
टेढ़ी नजरों से बातें होतीं, बातें कुछ कुछ कहतीं।
तेरा मुस्कुराना एक ख्वाब सा लगता,
जैसे सर्द सुबह में सूरज खिलता।
हर लम्हा मौन लगता,
फिर भी सब कुछ कहता।
कभी चुप्पियों में, कभी स्माइल में हम,
मौन रहने का सिलसिला चलता,
मन को भाये,और हां में तब्दील,
इस कहानी में एक मोड़ देखा।
सभी की अनुमति से बातचीत चलती,
कभी कुछ नहीं कहते, पर कड़ियाँ बनतीं।
हर छेड़छाड़ पर दिल में घंटी बजती,
जब कभी तू पास होती, जादू सी बरसती।
ये पहेली मुलाकातें, जैसे एक किताब,
हर पन्ने में छिपी, अनकही मिठास।
तेरे ख्वाबों की इस नई दुनिया में,
तेरी मेरी हमारी कहानी बनती।
तेरी मेरी कहानी सुनकर,
सब हंसे ठठहास कर-कर,
याद करते हैं हम यह कहानी,
धीरी सी मुस्कान, नजरों से बन-ठन।
सब की जिंदगी में होती है एक कहानी,
बातें होती, फिर बनती कहानी,
कहानी हमारी पढ़कर बताना,
तेरी मेरी कहानी कैसी लगी?
- कौशिक दवे
- Kaushik Dave