""मेरी कहानी, यहीं अधूरी रह गई एक आत्मप्रेमी की कहानी दो लोगों से शुरू होकर अब एक पर ही रुक गई सालों सालों के लिए उन्हीं बरगद की पेड़ की तरह जो कभी दूसरे पेड़ो की तरफ फल फूल नहीं पाते कभी वो उस खूबसूरती को जी नहीं पाते बस समय के साथ साथ बढ़ते जाते है और आने जाने वाले लोग उसके नीचे छांव की संतुष्टि महसूस करते है ।""
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