#सारा_दोष_हमारा_था
ये दिल कम्बख़त उन्हीं पे आया,
इजहार - ए - इश्क़ भी हमने किया,
उनकी झूठी मुहब्बत में खोने का,
सारा दोष हमारा था....।
रहते खामोश तो, इश्क़ ये बेजुबां कहलाता,
रोता बहुत मगर, टूटने का दर्द तो ना सहता,
बेवजह नाजुक दिल को कुर्बान करने का,
सारा दोष हमारा था...।
खता तो हुई थी, दिल लगाने की,
सजा भी मिली आंसू बहाने की,
किसी बेवफा से दिल का सौदा करने का,
सारा दोष हमारा था....।
अब ना दिल धड़कता है, ना अब आंसू बहते है,
आते जाते कितने लोग, टूटे दिल पे हसते रहते है,
धड़कते दिल को बेजान बनाने का,
सारा दोष हमारा था...।