जो लहरों से आगे नज़र देख पाती,,,
तो तुम जान लेते, मैं क्या सोचता हूं,,,
वो आवाज़ तुम को भी जो भेद जाती,,,
तो तुम जान लेते मैं क्या सोचता हूं,,,
ज़िद का तुम्हारे जो पर्दा सरकता,,,
खिड़कियों से आगे भी तुम देख पाते,,,
आंखों से आदतों की जो पलकें हटाते,,,
तो तुम जान लेते मैं क्या सोचता हूं......#D
-Deepak Singh