श्रीरामचरितमानस,भाग - 5
।। बालकाण्ड ।।
नील सरोरुह स्याम तरुन अरुन बारिज नयन ।
करउ सो मम उर धाम सदा छीरसागर सयन ॥
शब्दार्थ
नील – नीला, गहरा नीला
सरोरुह – कमल के समान (कमल जैसे पंखुड़ी वाले)
स्याम – कृष्ण, काले रंग के
तरुन – युवा, जवान
अरुन – लालिमायुक्त, सूर्य के समान प्रकाशमान
बारिज नयन – वर्षा के समान मृदुल और सुंदर नेत्र
करउ सो – करें वही, कृपा करें वही
मम उर धाम – मेरे हृदय का निवास
सदा – हमेशा
छीरसागर सयन – समुद्र की ओर लेटे हुए (सागर के समान विस्तृत और शांत)
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साधारण अर्थ
तुलसीदास जी कहते हैं कि भगवान, जिनका रंग गहरा नीला है, जिनके कमल सदृश चेहरे हैं, जो युवा और शक्तिशाली हैं, जिनकी आँखें वर्षा के समान मधुर और लालिमा वाली हैं, वे मेरी हृदयस्थली में हमेशा निवास करें और अपने समुद्र सदृश शांत विस्तार में कृपा करें।
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कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुना अयन ।
जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन ॥
शब्दार्थ
कुंद इंदु सम देह – शरीर कमल और चंद्रमा जैसे सुंदर
उमा – माता पार्वती, शिव की पत्नी
रमन – प्रियतम, संग करने वाला
करुना अयन – करुणा का स्रोत, दया देने वाला
जाहि – जिस पर
दीन – दुखी, अभागा, गरीब
पर नेह – पर प्रेम, दया
करउ – करें
कृपा – अनुग्रह, दया
मर्दन मयन – पाप और दु:ख नाश करने वाला (शिव जी)
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साधारण अर्थ
तुलसीदास जी कहते हैं कि भगवान, जिनका शरीर कमल और चंद्रमा समान सुंदर है, जो माता पार्वती के प्रिय हैं और करुणा के स्रोत हैं, वे उन सभी दीनों और दुखियों पर प्रेम और कृपा करें और अपने अनुग्रह से पाप और कष्टों का नाश करें।
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