तारीफ़ तो ख़ैर तेरी भी उन नज़्म और
ग़ज़लों से कम नहीं ,
जिन्हें नुसरत अपनी महफ़िलों में सजाया करते थे ,
जगजीत अपनी धुन में गुनगुनाया करते थे !
असल में अगर तारीफ़ में तेरी कुछ लफ़्ज़ कहु ,
तो तुझ जैसा बेदाग़ चाँद अगर किसी के हिस्से आए तो रोशनी से परे उसके हिस्से में पूरा चमचमाता हुआ एक जहा बस जाए !
~ Viharika 💕🫠🤌