सेक्स - यंत्र, मंत्र और तंत्र
पति पत्नी और उनके बीच के यौन संबंधों को लेकर कम लोग बोलना और लिखना चाहते हैँ। साहित्य में तो काफ़ी कुछ लिखा पढ़ा गया लेकिन आम जीवन में इसे एक तरह से वर्जना योग्य ही माना गया है।
मैं एक शादी शुदा वरिष्ठ नागरिक हूं। मैंने भी इस पर बहुत चिंतन - मनन किया है और पाया है कि ऐसे संबंध जबतक पति पत्नी का शरीर इसे बनाये रखने की अनुमति और क्षमता दे उसे अवश्य जारी रखना चाहिए।सेक्स सिर्फ़ तन और इन्द्रिय सुख का माध्यम नहीँ है।यह मन को एकाकर करने का यंत्र भी है। आपसी झगड़े समाप्त करने का तंत्र भी है। मैंने तो यह भी पढ़ा है कि यह पति पत्नी को दीर्घायु करने का मंत्र भी है।