Hindi Quote in Poem by Gautam

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गीत---

है गुमसुम कोई, तेरे इस शहर में,
खुदाया माफ् करना, अभी टूटा है ग़ालिब।
मैं ही एक बदनसीब हूँ
मैं ही एक बदनसीब हूँ।
जब जलते चिराग़े, उसी में जलते ये दिल..
जब अश्कों से भींगे, वहीं मैं बदजबीं हूँ।
मैं ही एक बदनसीब हूँ, मैं ही एक बदनसीब हूँ।


पग में काँटे मिलते, हुए है दिल पर छाले
क़यामत बन के आये, आँधियों के सहारे
इधर बस ठोकरें है, उधर है किनारे
कहाँ मैं जाऊं अब, तुम्हीं कर दो इशारे
मैं ही एक बदनसीब हूँ, मैं ही एक बदनसीब हूँ।


तेरी परछाई पर, पड़े किसी और का छाया..!
कैसे मैं देख पाउँ, आँखों से ये नजारा..!
ये गुस्ताख़ होगा, मुझे ना मंजूर होगा।
है स्वाभिमान मेरा, तुम्हारा कसूर होगा।
बदकिस्मती है मेरा, या है तुम्हारा जमाना।
मुझे नहीं चाहिए, संग तेरे नजराना।
मैं ही एक बदनसीब हूँ, मैं ही एक बदनसीब हूँ।


ये शिकवे शिकायत पर दो पल का शिला है..!
जो दिल पर दर्द है वो वर्षो का गिला है।
तेरी पत्थर की सूरत, मैं हूँ मोम का पानी।
बहुत दूर सफर है तेरी मेरी कहानी।
यहीँ है हकीकत वहीं तुम वहीं मैं हूँ
मैं ही एक बदनसीब हूँ, मैं ही एक बदनसीब हूँ।

गौतम केशरी✍️✍️

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