मुफलिसी के आलम मे ज़ब रात आती है।
चार यार साथ हो तो उसकी बात आती है।
जींदगी भले ही गुज़र रही हो,रेस की तरह,
याद तो याद हे,उसकी याद तो आती है।
- विपुल प्रीत -

-Vipul Borisa

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