ए मौत तु क्यूं इतना बेरेहेम है
लोगों की जिंदगी सुरु ही नहीं, और तू हाजिर है
तेरे चोखट पे इतना अंधेरा क्यूं है
छिनलेता है तू लोगों का रोशन जिंदगी,एक झ्टका ही काफी है
लोगों के चाहते, उनके जिंदगी की तुझे कोई कदर नेहिं है
अचानक आके रास्ता रोक लेता है तू, जैसे पुराना कोई दोस्त है
तेरे आगे रिश्तों का भी काहां कोई मोल है
तू तो अंधी मा से छीनलेता बेटा है
ए मौत तुझपे काहां भरोसा है
कब आके किसका माथा चूमले, काहां किसको पता है