गुस्ताखियां मेरी अब माफ कर दो
मुझसे मुहब्बत का आगाज़ कर दो
तेरी सांसो से दम भर रही हूँ मैं
मेरी मुहब्बत का इंसाफ कर दो
माना ख़ता कुछ हुई हमसे
पर इतनी नही कि अंजान कर दो
रुख़सत कर अपने दिल से मुझे
मेरे इश्क को यूँ न बेजान कर दो
गुस्ताखियां मेरी अब माफ कर दो....
दुआओं में जो उठ जाएं तेरे हाथ
मेरे नाम अपने कुछ अल्फाज़ कर दो
वज़ह दो, सज़ा दो, वफ़ा दो मुझे
बेरुखी से मुझे न यूँ बर्बाद कर दो
गुस्ताखियां मेरी अब माफ कर दो....
सुर्ख है ये आंखे जो गम में तेरे बिन
उन्हें दरिया बनने का पैगाम कर दो
समझ गयी हूं तुझको या समझी नही हूं
मरने या जीने का इंतज़ाम कर दो
गुस्ताखियां मेरी अब माफ कर दो.....
शिवानी वर्मा
शांतिनिकेतन