मैं अनंत आकाश पर लिखूँगा,
नीले-सफेद स्लेट से आकाश को अपने रंगों से, शब्दों से भर दूँगा ।
मैं अनंत आकाश पर लिखूँगा,
अपने मन की कहानी, अपने शब्दों की जुबानी ।।
मेरी भाषा, मैं ही पढूंगा,
अपने सपनों को मैं ही पँख दूँगा, उड़ने को मेरा अपना आकाश होगा।
सिर्फ मेरा मैं ही समझूँगा,
मेरी अनगढ़ बेढंगी सी बातें, जो लिखूँगा मैं अपने आकाश पर,
अपने अनगढ़ बेढंगे से शब्दों से,
बेतरतीब से रंगों से, रंग दूँगा मैं अपने अनंत आकाश को ।।
🗞️ "अभिव्यक्ति" ✒️ ऋषि सचदेवा
📨 हरिद्वार, उत्तराखंड । 📱 9837241310