चलो कहीं दूर चलें जहाँ
बोलने पर सख्तियाँ न हों
गले में रिश्तों की तख्तियाँ न हों
आँखों में झाँकती मुहब्बत ही मिले
गिले शिकवों की नर्मियाँ न हों
चलो कहीं दूर चलें जहाँ
धड़कनों पर फब्तियाँ न हों
मचलती हों ख्वाहिशें और दूरियाँ न हों
एक जमीं हो परछाईं हो एक
हवा भी अब हमारे दरम्याँ न हो
चलो कहीं दूर चलें
#सरगोशियाँ ...