चारों तरफ़ सन्नाटा छाएगा।
कुछ लोग अंदर ही अंदर बोलेंगें आवाज़ नही ।
जिनको बात मिली होंगी,
जिनके साथ तार जुड़ा होगा,
कुछ अपने होते पराये-
कुछ पराये अपने जिनको जैसा लगा
उतनी जल्दी भागेंगे।
कुछ लोग खाली हाथ,कुछ रस्म निभाएंगे।
कोई हर तकलीफ को करके पार
कोई बहाना बनाएंगे।
कुछ आँखे भीतर से नम, कुछ बातों से मनाएँगे
एक गहरी डोली एक खाली जोली।
उठाएंगे सब,बिछड़ ने का ग़म आज मुजे,
उतना वो तब नही मनाएँगे।
सब अधूरे वादे,सपनें, किस्से, कहानियां..
सब बिछाई और
शिर्फ़ तन जलाया जाएगा ।
क्योकि
अरमानों को तो कबका में जला बेठा ।