जो गझल बन जाए तेरी याद मै वो गीत कहा से लाऊ,
ना तुम आते हो ना ये जान जिस्म से रुखसत होती है,ऐसी तडप कहाँ से लाऊ।
जो जलन हुइ है तेरे प्यार मे,जब-२ रोये है तेरी याद मै,
वो लहु के आँसु वो सहरा मे तडप कहा से लाऊ।
कहा था किसी ज़माने मे तुमने की छु लो शोहरत के आसमां को या पा लो अपनी ज़िंदगी को,
अब वो ज़िंदगी ना रही ना वो ज़माना रहा,
अब दर्द के समंदर मे भटकते हुए वो साहिल वो किनारा कहा से लाऊ।
ना कभी कुछ पाने की तमन्ना थी न कभी खोने का ग़म
जो मेरे अलफाज़ो मे इतना दर्द भर दे वो एहसास कहा से लाऊ।