मुद्दतों गुजर गई मगर आज भी
वो ठिकाना याद है ..
जहां हम तुम मिला करते थे चोरी चोरी,
हवा में तेरी खुशबू का बहना याद है ..!
नदी किनारे वह तेरे कदमों का
ठहर जाना याद है ..!
वो तेरी आधी -अधूरी बातें
वो तेरे कच्चे-कच्चे वादे ,
पर तेरी आंखों का सब कुछ कह जाना याद है..!
तुम कहते थे चुपके से आ जाना बिना बताए,
तेरा वह धीरे से बुलाना याद है ..!
कभी रूठी थी मैं और टूट गए थे तुम,
फिर तेरे मनाने से मान जाना याद है..!
अब तो बस तन्हाई है और
ख्यालों में तेरा यह कह जाना ,
"सुनो" बस यह राग पुराना याद है..!
मुद्दतों गुजर गई पर ये दिल वही ठहरा है,
जहां हम तुम मिला करते थे चोरी-चोरी..!
- Soni shakya