Hindi Quote in Book-Review by Agyat Agyani

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✧ मानव की संभावना — अनिश्चितता का खेल ✧
“The potential of man — and life is a play of uncertainty.”

मनुष्य के भीतर जो संभावना है,
वह ब्रह्मांड जैसी है —
असीम, अनियंत्रित, और किसी भी सीमा में बंधने से इंकार करती हुई।
जो कुछ निश्चित किया जा सकता है —
वह उस संभावना का केवल एक छोटा-सा हिस्सा है।
बाकी सब कुछ अद्भुत है,
अंततः अलौकिक, अवर्णनीय।

मानव का विकास अब तक जो हुआ —
वह बस नियोजन का विकास है:
विज्ञान ने विधियाँ बनाईं,
धर्म ने नियम गढ़े,
राजनीति ने संरचनाएँ खड़ी कीं।
पर ये सब आयोजन हैं —
वे सिर्फ़ संभावना के किनारे पर हैं,
सागर नहीं।

अस्तित्व का स्वभाव आयोजन नहीं, खेल है।
खेल में सब कुछ उपस्थित होता है —
नियम भी, पर साथ ही अनिश्चितता भी।
यही अनिश्चितता जीवन को जीवित बनाती है।
जो खेल में उतरता है,
वह जानता है —
जीतना या हारना ही अर्थ नहीं,
खेलना ही अर्थ है।

धर्म, विज्ञान, राजनीति —
ये सब खेल को गंभीरता में बदल देते हैं।
इनमें सब कुछ “योजना” है:
कब जाना है, कहाँ पहुँचना है,
किसे हराना है, क्या हासिल करना है।
पर अस्तित्व की अपनी गति ऐसी नहीं है।
वह किसी लक्ष्य पर नहीं दौड़ता,
वह बस बहता है —
जैसे नदी, जो कभी खुद नहीं जानती
कि उसे कहाँ मिलना है।

मानव ने जब कहा — “हमें चाँद तक पहुँचना है,”
तब भी वह अपनी संभावना का
सिर्फ़ एक अंश छू पाया।
क्योंकि उसकी वास्तविक संभावना
चाँद से लाख गुना आगे है।
जिस तरह खेल की कोई संभावना निश्चित नहीं होती,
वैसे ही जीवन की कोई संभावना तय नहीं होती।

जब मनुष्य साधारण खेल में आनंद पाता है,
तो यह केवल एक संकेत है —
कि उसे अपनी अनंत संभावना की रसना हो चुकी है।
खेल उसका प्रतीक है,
कि वह भीतर से अज्ञात को स्वीकार कर सकता है।

विज्ञान, धर्म और राजनीति
इस अनिश्चितता को नियंत्रित करना चाहते हैं —
वे अस्तित्व को नियम में बाँधते हैं।
पर अनिश्चितता ही सृजन का स्रोत है।
जो निश्चित हो जाता है,
वह मृत हो जाता है।
जीवन की धड़कन ही उसका अनिश्चित होना है।

इसलिए जीवन को समझना
किसी निश्चित परिणाम को पाने का प्रयास नहीं,
बल्कि खेलते रहने की कला है।
जो खेलता है, वही जीवित है।
जो खेल को परिणाम से मापता है,
वह हार गया — चाहे जीता हो।

मनुष्य जब यह मान लेता है
कि उसे क्या बनना है —
राजनेता, वैज्ञानिक, गुरु —
तब वह अपने बनने की प्रक्रिया को रोक देता है।
क्योंकि “लक्ष्य” निश्चितता लाता है,
और निश्चितता रचनात्मकता को समाप्त करती है।

जिसने जीने को लक्ष्य बनाया —
वह हमेशा वर्तमान में होता है।
वह समय के साथ बहता है,
उसके विपरीत नहीं।
वह जानता है कि खेल का कोई अंत नहीं,
बस अनुभवों की एक निरंतरता है।

जो जीवन को खेल की तरह जीता है,
उसके भीतर सृजन की संभावना कभी समाप्त नहीं होती।
वह हर दिन एक नया प्रयोग है,
हर साँस एक नई खोज।
और जिसने अपनी किताब को कोरी रखी है,
वह कुछ अद्भुत लिखने के लिए
अब भी तैयार है।


---

जीवन लक्ष्य नहीं, संभावना है।
लक्ष्य वहाँ खत्म होता है जहाँ कल्पना रुक जाती है।
संभावना वहीं शुरू होती है जहाँ मनुष्य कहना छोड़ देता है —
और जीना शुरू करता है।

✍🏻 agyat agyani (अज्ञात अज्ञानी)

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Hindi Book-Review by Agyat Agyani : 112004216
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