कर जवाब देती, “मेरा आर्यन बहुत खास है, उसका वक़्त आएगा।”
सरला का अपने बेटे पर गहरा विश्वास था। वह जानती थी कि आर्यन के अंदर एक अनोखी प्रतिभा छिपी है। उसकी माँ उसे प्रोत्साहित करती और अपने बेटे की हर छोटी-बड़ी उपलब्धि का जश्न मनाती।
समय गुजरता गया, और आर्यन ने अपनी अलग सोच और रचनात्मकता को निखारना शुरू कर दिया। वह अक्सर पुरानी चीजों से कुछ नया बनाने की कोशिश में लगा रहता। धीरे-धीरे, उसकी मेहनत रंग लाने लगी। एक दिन, गाँव में विज्ञान मेला आयोजित किया गया, जहाँ आर्यन ने अपनी बनाई चीजों की प्रदर्शनी लगाई। उसकी रचनाएँ इतनी अद्वितीय थीं कि सभी गाँव वाले उसकी तारीफ करने लगे।
आर्यन की माँ सरला का विश्वास आखिरकार सच साबित हुआ। आर्यन की प्रतिभा की चर्चा अब दूर-दूर तक होने लगी। इसका परिणाम यह हुआ कि बड़े शहर से कुछ लोग आर्यन के काम को देखने आए और उसे छात्रवृत्ति की पेशकश की गई।
इस कहानी का संदेश है कि विश्वास और प्रोत्साहन के सहारे हर बच्चा अपनी विशेषता दिखा सकता है। आर्यन ने साबित कर दिया कि अगर हमें खुद पर विश्वास हो और कोई हमारा साथ दे, तो हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं।
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