मै चला था उस मंजिल की तरफ जहां मेरी सब को जरूरत थी ।लेकिन जब अपने ही मेरे दुश्मन बने तो वापिस कदम जन्म देने वाली मां की तरफ लौट आए, ।
करता भी क्या मै , जुल्म जो मेरी मेरी मां पर हो रहे थे ।इस लिए बड़े भाइयों ने कहा जा यहां हम है ना, जिसने 9 महीने पेट में रखा तुझे आज उस पर आंच आई है ।
मेरे पास शब्द नहीं थे उन मां के लालों के लिए जिन्होंने मुझे मां के आंचल में वापिस भेज दिया और खुद रह गए , तिरंगे की शान में ।
जय हिंद,