जब टूटी छत, बिखर गए ख्वाब,
जब हाथों से फिसल गए सब हिसाब,
तब मत समझो कि किस्मत खत्म हुई,
बस एक नया अध्याय शुरू हुआ है जनाब।
जब खाली जेब में हवाएँ गूँजती हैं,
तब दिमाग नई राहें खोजती हैं,
धन खो जाए तो क्या हुआ,
हौसले बचे हों तो दुनिया झुकती है।
कभी मिट्टी से सोना बनाया था तुमने,
अब राख से भी उजाला करोगे,
कल गिर गए थे वक्त के थपेड़ों से,
पर आज नई सुबह में चमकोगे।
संपत्ति जा सकती है, पर सपने नहीं,
हार सकते हैं कदम, पर मन नहीं,
जो खुद पर विश्वास रखता है,
वो कंगाल होकर भी निर्धन नहीं।
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“धन खोना दुखद है, पर आत्मविश्वास खोना विनाश है।”
इसलिए सिर ऊँचा रखो — क्योंकि असली पूँजी हम खुद है।
आर्यमौलिक