*ग़ज़ल*
*"दिल और मोहब्बत का हसीन एहसास"*
दिल से निकले हर एक फसाना, मोहब्बत की जुबान बन जाए,
हर धड़कन में बसी सच्चाई, रूह तक की पहचान बन जाए।
नज़रें कहें जो बात चुपचाप, वो लफ्ज़ भी बेजुबां रह जाएं,
बस एक मुस्कान में छुपा पैग़ाम, उम्र भर का इम्तिहान बन जाए।
मोहब्बत कोई सौदा नहीं, ये तो रब की इनायत होती है,
जो समझे इसकी नज़ाकत को, वही सच्ची इबादत होती है।
दिल की राहों में जो चले बेपरवाह, वही तो आशिक कहलाए,
जिसे न मिले सिला मोहब्बत का, फिर भी दुआ में हाथ उठाए।
ये एहसास है कोई ख्वाब नहीं, जो टूटे तो रोशनी भी मुरझाए,
ये वो चिराग़ है जो जलता है, पर खुद को ही राख बनाए।
— *Naina Khan*