तन्हा जहन की दास्तान
तन्हा जहन में हर रोज़ एक कहानी बनती है,
सन्नाटे की स्याही से, दर्द की निशानी बनती है।
कोई सुनने वाला नहीं, कोई समझने वाला नहीं,
बस आंसुओं से भीगी एक जुबानी बनती है।
रात ढलती है तो ख़्वाबों का क़त्ल होता है,
नींद के सफ़हे पर सन्नाटा दफ़्न होता है।
हर तारा जैसे टूटा हुआ अफ़साना लगे,
हर चांद अधूरी मोहब्बत का बहाना लगे।
ये जहन भी क्या अजीब क़िताब है,
हर पन्ना अधूरा, हर जुमला लापता है।
लिखता हूँ मगर लफ़्ज़ साथ नहीं देते,
जख़्मों के किस्से भी अब बात नहीं करते।
कभी सोचा था ये दर्द मिट जाएगा,
इन तन्हाइयों का मौसम कट जाएगा।
मगर जितना भागूं, उतना ही पास आता है,
यह जहन मेरी रूह को और रुलाता है।
फिर भी…
इस वीराने की गोद में कहानी पनपती है,
हर टूटन से एक नई तहरीर बनती है।
शायद यही दर्द एक दिन ग़ज़ल हो जाएगा,
तन्हा जहन भी किसी का सहारा बन जाएगा।
DB-ARYMOULIK