ये जो लफ्जों में तुम ढूँढ़ते हो मुझे,
ये मैं नहीं, मेरे जज़्बात हैं।
इनमें मेरी खुशी, मेरा ग़म है,
इनमें मेरी अधूरी मुलाकातें हैं।
तुमने तो देखा है बस मेरी मुस्कान को,
पर इन लफ्जों में मेरी रातों के आँसू हैं।
पढ़ सको तो पढ़ लेना इन्हें कभी,
ये दिल की अनकही दास्तान हैं।
- kajal jha