मेरी आँखों में इबारत थी,
वो पढ़ न सका सच्चाई की ऐसी हालत थी....
उसने मुस्कुराहट भरी निगाहें डाली भी नहीं,
और मेरे दिल में तन्हाई की सख़्त आहट थी....
सोचो, क्या गुज़री होगी उस दिल पर,
जिसकी चाहत में भी सिर्फ़ शिकायत थी...
जिसने मेरी इबादत को न माना कभी,
वो भी मेरे लिए रूह की राहत थी...
- Manshi K