🌿 विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस | World Nature Conservation Day
🗓️ 28 जुलाई
✍️ लेखक: धीरेंद्र सिंह बिष्ट
“अगर धरती थक जाएगी, तो इंसान कहाँ साँस लेगा?”
आज का दिन सिर्फ एक तारीख नहीं है, बल्कि एक चेतावनी है —
कि हम उस माँ को अनदेखा कर रहे हैं, जिसने हमें जीना सिखाया।
पेड़ सिर्फ लकड़ी नहीं होते,
वो हमारी साँसें हैं, हमारी छांव, और हमारी उम्मीद का नाम हैं।
हर बार जब हम एक पेड़ काटते हैं,
हम अपने ही भविष्य की जड़ें उखाड़ते हैं।
नदियाँ सूख रही हैं, मौसम बदल रहा है,
और हम अब भी सोच रहे हैं — “मेरे एक से क्या होगा?”
तो सुनिए —
“आपके एक कदम से एक जंगल फिर उग सकता है।
आपके एक बोए बीज से आने वाली पीढ़ियाँ साँस ले सकती हैं।”
आज World Nature Conservation Day पर सिर्फ पोस्ट मत कीजिए —
एक पौधा लगाइए।
किसी नदी को साफ़ कीजिए।
या कम से कम —
प्रकृति को ‘थैंक यू’ कहिए और उसका सम्मान कीजिए।
यह धरती सिर्फ रहने की जगह नहीं —
यह एक ज़िम्मेदारी है।
संरक्षण सिर्फ एक शब्द नहीं — ये हमारे अस्तित्व की अंतिम उम्मीद है।
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