तुम समझोगे क्या…????
जब अपने ही सवाल बन जाएँ,
और जवाब देने वाला कोई न हो।
जब दिल बोले बहुत कुछ,
पर होंठ बस ख़ामोश रह जाएँ.....
तुम समझोगे क्या…
वो अकेलापन, जो शोर के बीच भी
चुपचाप मेरे साथ रहता है,
जिसे कोई देख नहीं सकता,
पर वो हर वक़्त सीने पर पत्थर-सा बैठा रहता है.....
तुम समझोगे क्या…
जब किसी को सबकुछ दे दिया हो,
और फिर भी वो कह दे"तुमने किया ही क्या है?"
जब हर ख़ुशी उसके नाम कर दी हो,
और बदले में बस एक "अजनबी" शब्द मिल जाए...
तुम समझोगे क्या…
कभी-कभी सिसकियाँ भी बोलती हैं,
पर तुम तो आदत में हो,
सिर्फ़ आवाज़ें सुनने को बेचैन रहती हूं...
तुम समझोगे क्या…
मेरी हर एक परेशानी को जो
तुमसे दूरियां बढ़ने का एहसास करवाता है...
हम क्यों मुस्कुराते हैं दूसरों के सामने?
क्योंकि हमारे आँसू अब लोगों को बोझ लगता है.....
तुम समझोगे क्या...??
उस वक्त जब मैं खुद को खत्म करने की बात करती हूं
सिर्फ सोचती नहीं हूं एक दिन कर जाऊंगी
क्योंकि मेरा जीना बेमतलब लगता है..…...
_Manshi K