टूटे हुए ख्वाबों की चुभन सीने में रहती है,
हर मुस्कान के पीछे इक तन्हाई बहती है.....
जो कभी अपना कहा करते थे सच्चे दिल से,
आज वही हमारी यादों से भी डरते यूं हैं
न शिकवा है किसी से, न कोई गिला हम करते हैं,
बस खुद से ही बैठकर रोज़-रोज़ एक सवाल करते हैं...
क्या हूं मैं गलत जो अपने ही मुझे तोड़ा करते हैं??
- Manshi K