कुत्ता और कौआ
एक था कुत्ता, एक था कौआ,
दोनों में था थोड़ा सा झगड़ा भौं-भौं और कांव-कांव का सौदा।
कुत्ता बोला मैं घर का राजा,
मालिक मुझे खिलाता बाजा!"
कौआ बोला मैं हूँ उड़नछू,
कभी यहाँ, कभी वहाँ, जैसे मन चाहूँ!"
कुत्ता बोला मैं दरवाज़ा देखूं,
चोर आए तो जोर से भौंकूं!"
कौआ हँसा मैं तो आसमान छू लूं,
कभी टीवी एंटीना, कभी छत पर झूलूं!"
कभी लड़ते, कभी हँसते दोनों,
एक कटोरी में खाते मोहनथाल सोनो।
कभी कौआ बैठा कुत्ते की पीठ,
दोस्ती में अब नहीं कोई रीत!
लेखक: Bikash Parajuli